कुएं की खुदाई एवं चिनाई का कार्य क्या कहलाता है
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ऐसी चिनाई सीध यानी सीधी कहलाती है। पर जहाँ भूजल बहुत गहरा है वहाँ लगातार खुदाई करते गए तो मिट्टी धंसने का खतरा रहता है। ऐसे भागों में कुओं में ऊपर से नीचे की ओर चिनाई की जाती है - थोड़ा खोदा, उतना चिन दिया और फिर आगे बढ़े। ऐसी उल्टी चिनाई ऊंध कहलाती है।
राजस्थान रेतीला स्थान है वहां पर जल की समस्या रहती है । जमीन के नीचे खड़िया की कठोर परत को तलाशकर उसके ऊपर गहरी खुदाई की जाती है और विशेष प्रकार से चिनाई की जाती है।
- चिनाई करने के बाद खड़िया की पट्टी पर रेत के कणों में रिस - रिसकर पानी एकत्रित हो जाता है।
- पेय जल की आपूर्ति के उस साधन को कुइं कहते है। कुई का व्यास कुएं से छोटा होता है व गहराई तीस पैंतीस हाथ के लगभग होती है । कुई का पानी मीठा व शुद्ध होता है, रेगिस्तान के निवासियों के लिए कुई का जल अमृत के समान है।
- कुओं की गहराई डेढ़ सौ हाथ से दो सौ हाथ होती है। कुआं भू जल पाने के लिए खोदा जाता है , कुएं का पानी भी खारा होता है।
- कुएं का व्यास काम होने के कारण इसकी खुदाई फावड़े या कुल्हाड़ी से नहीं की जा सकती। कुएं की खुदाई बसौली से की जाती है। यह छोटी डंडी का छोटे फावड़े जैसा औजार होता है जिस पर लोहे का नुकीला फल तथा लकड़ी का हत्था लगा होता है।