कागा काको घन हरे कोयल काको देत
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कोयल मीठे बोल बोलकर सबका मन मोह लेती है हालाकि किसी को कुछ (धन राशि ) देती नहीं है। कौवा भी किसी का धन चोरी नहीं करता है फिर भी कर्कशा कहलाता है। मीठा गाने वाली लता मंगेशकर कंठ कोकिला कहलाती हैं .कोयल बोलती है तो लगता है वातावरण को शुद्ध कर रही है मंगल ध्वनी से संस्कृत के श्लोकों की तरह ,माहौल को संगीत के स्वरों से भर देती है कोयल। और आजकल के कई दुर्मुख बोलते हैं तो लगता है कौवा कोँ कों कर रहा है।
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kauwa kisikaa dhan nahi churata aur koyal ksi ko kuchh nahi ye to de deta ye to uska awaz hai jisse koyal sabhi ko apne vas Kar Kar leta
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