Hindi, asked by kumarparmod59265, 4 months ago

कागा काको धन हरै, कोयल काको देत।
मीठे बोल सुनाय के, जग अपना कर लेत।।
साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय।
सार-सार को गहि रहै, थोथा देइ उड़ाय।।
-कबीर​

Answers

Answered by swayamprava12
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प्रश्न:

कागा काको धन हरै, कोयल काको देत।

मीठे बोल सुनाय के, जग अपना कर लेत।।

साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय।

सार-सार को गही रहै, थोड़ा देइ उडाय।।

-कबीर

उत्तर:

कागा काको धन हरै, कोयल काको देत।

मीठे बोल सुनाय के, जग अपना कर लेत।।

  • इसका अर्थ है कि न तो कौआ किसी का धन छीनता है और न कोयल किसी को कुछ देती है। कौआ अपनी कर्कश आवाज़ के कारण भगाया जाता है और कोयल अपनी मीठी वाणी के कारण सबको अपना बना लेती है और सबकी प्रिय बन जाती है।

साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय।

सार-सार को गही रहै, थोड़ा देइ उडाय।।

  • इसका अर्थ है कि साधु का स्वभाव सूप (छाज) जैसा होना चाहिए। जैसे सूप काम के योग्य अनाज को अपने पास बचाकर खोखले, हल्के और बिना काम वाले सड़े-गले अनाज को उदा देता है, उसी प्रकार साधु को ज्ञान की बातें अपनाकर शेष बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।

आशा है कि उत्तर मददकार

बने✌️

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