"कंगाली में अट्टा गिला।" इस विषय पर निबंद लिखो।
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बेटा, यह एक कहावत है। इसका मतलब है कि एक मुसीबत के बाद दूसरी मुसीबत में फँस जाना। अब देखो न, बेचारी शांति तो पहले ही गरीब है। फिर उसके घर में आग लगने से सब कुछ जल गया। यह दूसरी मुसीबत खड़ी हो गई। इसे कहते हैं-कंगाली में आटा गीला” दादाजी ने समझाया। “दादाजी, हमें इसकी कहानी सुनाओ।” अमर ने आग्रह किया।
“तो सुनो बेटा!” दादाजी बोले-“सुखीराम और दुखीराम बचपन के दोस्त थे। सुखीराम का कपड़े का अच्छा-खासा व्यापार था। उसके पास धन-दौलत, बढ़िया घर, नौकर-चाकर और हर तरह का सुख-आराम था। जबकि दुखीराम गरीब था। उसकी चाय की दुकान थी। वह किराए के टूटे-फूटे घर में रहता था। वह मुश्किल से अपने परिवार को पाल रहा था। दोनों दोस्त अलग-अलग शहरों में रहते थे।
एक दिन सुखीराम किसी काम से उसी शहर में आया जिसमें उसका दोस्त दुखीराम रहता था। उस दिन जोरदार बारिश हो रही थी। अपना काम समाप्त करने के बाद सुखीराम ने सोचा कि क्यों न अपने लगोटिया यार से भी मिल लिया जाए। यह सोचकर वह दुखीराम के घर गया। दुखीराम ने अपने दोस्त सुखीराम को देखा तो बहुत खुश हुआ। दोनों दोस्त बड़े प्यार से गले मिले। उनकी आँखों से खुशी के आँसू निकल पड़े। दोनों ने एद-दूसरे की राजी-खुशी के बारे में पूछा। दुखीराम ने अपने दोस्त से अपनी गरीबी का जरा भी जिक्र नहीं किया। बल्कि उसकी हँसी-खुशी से आवभगत की।
बारिश तेज हो गई थी। इसलिए दुखीराम ने अपने दोस्त से रात उसके यहाँ रुकने की जिद की, लेकिन सुखीराम जल्दी में था। उसने कहा कि वह फिर कभी उसके घर रुक जाएगा। फिर दुखीराम बोला-‘अच्छा दोस्त, खाना खाकर जाना। तुम बैठो, मैं खाने का इंतजाम करता हूँ। यह कहकर वह अंदर चला गया। लेकिन कुछ देर बाद बाहर आकर बोला-‘दोस्त, मुझे अफसोस है कि छत से बारिश का पानी टपकने की वजह से पोटली में रखा सारा आटा गीला होकर बह गया है। यह सुनकर सुखीराम ने कहा-‘कोई बात नहीं दोस्त! तुम चिंता मत करो। हम अगली बार एक साथ बैठकर खाना खाएँगे।’ यह कहकर वह दुखीराम के गले मिला, उसे कुछ धन भी दिया और चल पड़ा।
रास्ते में सुखीराम अपने दोस्त की गरीबी के बारे में सोचकर बहुत दुखी हुआ। सहसा उसके मुँह से निकल पड़ा-“हे भगवान्, कैसी है तेरी लीला, कंगाली में आटा गीला।’ यह सोचते-सोचते सुखीराम की आँखों से आँसू निकल पड़े।” दादाजी ने कहानी पूरी करते हुए कहा। “दादाजी, हमें इस कहानी से एक अच्छी बात सीखने को मिली है। जब किसी का कंगाली में आटा गीला हो जाए, तब हमें उसकी मदद करनी चाहिए। जैसे सुखीराम ने अपने दोस्त की मदद की।” लता ने कहा।
Answer:
means garibi ke baad bhi or aafat