किंग ऑफ़ बालीवुड म्यूजिक कहलाने वाला आर.डी.बर्मन पर एक निबंध लिखिए
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राहुल कोलकाता में जन्मे थे। कहा जाता है बचपन में जब ये रोते थे तो पंचम सुर की ध्वनि सुनाई देती थी, जिसके चलते इन्हें पंचम कह कर पुकारा गया। कुछ लोगों के मुताबिक अभिनेता अशोक कुमार ने जब पंचम को छोटी उम्र में रोते हुए सुना तो कहा कि 'ये पंचम में रोता है' तब से उन्हें पंचम कहा जाने लगा। इन्होने अपनी शुरूआती शिक्षा बालीगंज गवर्नमेंट हाई स्कूल कोलकत्ता से ली। बाद में उस्ताद अली अकबर खान से सरोद भी सीखा।उनके द्वारा बनाए गए संगीत उनके पिता एस डी बर्मन के संगीत की शैली से काफ़ी अलग थे। आर डी वर्मन हिन्दुस्तानी के साथ पाश्चात्य संगीत का भी मिश्रण करते थे, जिससे भारतीय संगीत को एक अलग पहचान मिलती थी। लेकिन उनके पिता सचिन देव बर्मन को पाश्चात्य संगीत का मिश्रण रास नहीं आता था।
आर डी बर्मन ने अपने कॅरियर की शुरुआत बतौर एक सहायक के रूप में की। शुरुआती दौर में वह अपने पिता के संगीत सहायक थे। संगीतकार के रूप में आर डी बर्मन की पहली फिल्म 'छोटे नवाब' (1961) थी जबकि पहली सफल फिल्म तीसरी मंजिल (1966) थी।
आर डी वर्मन की बतौर संगीतकार अंतिम फिल्म '1942 अ लव स्टोरी' रही। वर्ष 1994 में इस महान संगीतकार का देहांत हो गया।आर डी वर्मन ने अपने जीवन काल में भारतीय सिनेमा को हर तरह का संगीत दिया। आज के युग के लोग भी उनके संगीत को पसंद करते हैं। आज भी फिल्म उद्योग में उनके संगीत को बखूबी इस्तमाल किया जाता है।
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आर. डी. बर्मन का जन्म 27 जून, 1939 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में हुआ था। आर.डी.बर्मन के पिताजी बॉलीवुड के प्रसिद्ध संगीतकार सचिन देव बर्मन थे, और उनकी माँ मीरा देव बर्मन एक गीतकार थी | उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बालीगंज गवर्नमेंट हाई स्कूल, कोलकाता से प्राप्त की थी। बाद में उन्होंने उस्ताद अली अकबर खान से सरोद भी सीखा। आर. डी. बर्मन ने आशा भोंसले के साथ विवाह किया था।
जानकारों के अनुसार, उनका उपनाम पंचम रखा गया था क्योकि बचपन में वे जब भी वे रोते तो संगीत के पाँचवे सुर (प) की आवाज़ निकलती थी। उनकी मातृभाषा बंगाली थी, और बंगाली में पंचम का अर्थ पाँच से होता है | उनकी प्रारंभिक शिक्षा पश्चिम बंगाल में ही संपन्न हुई । उनके पिता सचिन देव बर्मन मुंबई की फिल्म इंडस्ट्री, बॉलीवुड के प्रसिद्ध संगीत निर्देशक थे। जब आर.डी. बर्मन केवल 9 साल के थे तभी उन्होंने अपने पहले गीत की रचना की थी, जिसका शीर्षक था "ऐ मेरी टोपी पलट के आ, इस गीत का उपयोग उनके पिता ने फिल्म फंटूश (1956) में किया था। "सर जो तेरा चकराये " गीत के तराने की रचना भी आर.डी. बर्मन ने बचपन में ही की थी, सचिनदेव बर्मन ने इसका उपयोग गुरु दत्त की फिल्म प्यासा में किया था। मुंबई में बर्मन ने उस्ताद अली अकबर खान (सरोद) और शान्ता प्रसाद से(तबले )का प्रशिक्षण लिया था। वे सलिल चौधरी को अपना गुरु मानते थे। आर .डी बर्मन ने अपने कॅरियर की शुरुआत बतौर एक संगीत सहायक के रूप में की। शुरुआती दौर में वह अपने पिता के संगीत सहायक थे। उन्होंने अपने फिल्मी कॅरियर में हिन्दी के अलावा बंगला, तमिल, तेलगु, और मराठी फिल्मों में भी काम किया । इसके अलावा उन्होंने अपने आवाज का जादू भी बिखेरा। उन्होंने अपने पिता के साथ मिलकर कई सफल संगीत-रचनाए भी की, जिसे सम्पूर्णत: फिल्मों में प्रयोग किया जाता था। कई फिल्मो में बर्मन में म्यूजिक असिस्टेंट की भूमिका अदा की थी, अपने पिता की हिट रचना ‘है अपना दिल तो आवारा’ के लिए बर्मन ने माउथ ऑर्गन भी बजाया था, जिसका उपयोग फिल्म “सोलहवां साल” में किया गया। उनके द्वारा बनाया गया संगीत उनके पिता एस डी बर्मन की संगीत-शैली से काफ़ी अलग होता था । आर. डी. बर्मन हिन्दुस्तानी के साथ पाश्चात्य संगीत का भी मिश्रण करते थे, जिससे भारतीय संगीत को एक अलग पहचान मिली थी, लेकिन उनके पिता सचिन देव बर्मन को पाश्चात्य संगीत का मिश्रण रास नहीं आता था।
संगीतकार के रूप में आर डी बर्मन की पहली फिल्म 'छोटे नवाब' (1961) थी जबकि पहली सफल फिल्म तीसरी मंजिल (1966) थी। अब तक आशा भोसले ने बालीवुड इंडस्ट्री में अच्छी पैठ बना ली थी। जबकि आर. डी बर्मन मशहूर संगीतकार सचिन देव बर्मन के किशोरवयीन बेटे थे। करीब 10 साल बाद वो अवसर आया जब आर .डी. बर्मन ने फिल्म 'तीसरी मंजिल' के लिए आशा भोसले से गाने हेतु संपर्क किया।
आर.डी.बर्मन की लोकप्रियता 1970 में राजेश खन्ना की फिल्मो में किशोर कुमार के गाए गीतों के साथ काफी बढ़ने लगी थी । शक्ति सामंत द्वारा निर्देशित फिल्म “कटी पतंग” (1970) एक म्यूजिकल सुपरहिट फिल्म साबित हुई ,और यही उनके सफलता की शुरुआत भी थी। इस फिल्म के गीत किशोर कुमार ने गाये थे, जो कम समय में ही लोकप्रिय हो गए थे | इतना ही नहीं पंचम दा ने लता मंगेशकर के साथ भी कई बेहतरीन गाने रिकॉर्ड किए। सत्तर के दशक के लगते ही आर. डी. बर्मन भारतीय बाॅलीवुड के एक लोकप्रिय संगीतकार बन गए। उन्होंने रफीसाहब ,लता मंगेशकर, किशोरदा आशा भोसले, और जैसे बड़े कलाकारों से अपने फिल्मों में गाने गवाए। बाद में हीरा पन्ना,अनामिका यादों की बारात आदि कई बडी फिल्मों में उन्होंने संगीत दिया। आर डी बर्मन की बतौर संगीतकार अंतिम फिल्म '1942 अ लव स्टोरी' रही। 4 जनवरी 1994 को पंचम दा ने अंतिम सांस ली थी।
आर डी वर्मन ने अपने जीवन काल में भारतीय सिनेमा को हर तरह का संगीत दिया | वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे | वे सरोद , तबला , माउथ ऑर्गन ,हार्मोनिका आदि कई वाद्य बजाना, गीत- गाना और गीत- रचना मे भी निपुण थे | उनके संगीतबद्ध किये गीत लोग आज भी पसंद करते है | लोगों का मानना है कि उन्होंने अपने गीतों को कई वर्ष आगे का संगीत प्रदान किया है | संगीत जगत में नए -नए प्रयोग करके पंचम दा ने अपनी वो पहचान बनायी जो लोगों के दिल मे अमिट छाप छोड़ गई | यही कारण है कि उन्हें “किंग ऑफ़ बालीवुड म्यूजिक” कहा जाता है | आज वे हमारे बीच नहीं है किन्तु उनके सुमधुर संगीत से ओतप्रोत नगमें हमें सदैव उनकी याद दिलाते रहेंगे |