कः गच्छन् योजनानां शतान्यपि गच्छति ? *
पिकः
काकः
पिपीलकः
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गच्छन् पिपिलिकः योजनानां शतानि अपि याति । अगच्छन् वैनतेयः एकं पदं न गच्छति ।) श्लोक का शाब्दिक अर्थ इस प्रकार दिया जा सकता हैः लगातार चल रही चींटी सैकड़ों योजनों की दूरी तय कर लेती है, परंतु न चल रहा गरुड़ एक कदम आगे नहीं बढ़ पाता है । अवश्य ही चींटी के संदर्भ में सैकड़ों योजनों की दूरी अतिशयोक्ति मानी जायेगी । I don't get 1000 rupee but I get Brainliest
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c) पिपीलकः
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