कागज का सही इस्तेमाल इस विषय पर निबंध लिखिए हिंदी
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कागज का सदुपयोग करें- महात्मा गांधी
मैंने देखा है कि धारासभाओं के सदस्य अपने निजी कामों के लिए भी निहायत कीमती गुलकारी किये हुए कागज का उपयोग करते हैं. जहां तक मैं जानता हूं, दफ्तरों में लिखने का सामान वहां से बाहर नहीं ले जाया जा सकता. दफ्तरों में भी व्यक्तिगत कामों के लिए- जैसे मित्रों या रिश्तेदारों को पत्र लिखना या धारा सभा के सदस्यों का सार्वजनिक कार्य करने वाले किसी व्यक्ति को सार्वजनिक सेवा से भिन्न किसी दूसरे काम के लिए पत्र लिखना- इसके उपयोग की इजाजत नहीं है. जहां तक मैं जानता हूं, दुनिया के हर भाग में इस बात की मनाही है.
लेकिन इस गरीब देश के लिए तो मैं और भी आगे जाऊंगा. लिखने के लिए जिस सामान का मैंने जिक्र किया है, वह हमारे देश के लिए बहुत मंहगा है. अंग्रेज दुनिया के सबसे खर्चीले देश के लोग हैं. वे यह भी जानते हैं कि हम पर वे अपनी जितनी धाक बैठा सकें, उतना ही उन्हें लाभ है. इसलिए उन्होंने दफ्तरों के लिए बहुत कीमती और बड़े-बड़े मकान बनवाये हैं, जिनकी देखभाल के लिए नौकरों और उनके सहारे जाने वाले चापलूसों की एक फौज की जरूरत होती है. अगर हमने उनके तरीकों और आदतों की नकल की, तो हम अपने आप तबाह हो जायेंगे और देश को भी अपने साथ ले डूबेंगे. लेकिन अगर वे ही बुराइयां हममें हुर्इं तो वे बरदाश्त नहीं की जायेंगी. देश में आज कागज की कमी है. इसलिए मेरी राय है कि ये तमाम खर्चीली आदतें हम छोड़ दें. हमें ग्रामोद्योग के कागज का उपयोग करना चाहिए. जिस पर उर्दू और नागरी में नाम, ठिकाना वगैरह सादे ढंग से छपा हो. गुलकारी किये हुए कागजों का उपयोग, जो पहले से छपा हुआ है, काटकर आसानी से ज्यादा अच्छे काम में लाया जा सकता है. हम किफायत करने के बहाने उसका उपयोग न करें. बेशक, ग्रामोद्योग के माल से तब तक इंतजार नहीं कराया जा सकता, जब तक कि कीमती और बहुत सम्भव है कि विदेशी माल खतम न हो जाये. जनता की सरकारों को चाहिए कि वे आते ही लोकप्रिय कार्य करें और सस्ती आदते अपनाये.