(क) गद्यांश आधारित प्रश्न
बैठे बैठे ध्यान आया कि चलो, साईकिल चलना सिक ले ।इसकी सुरावत यो हुई की हमारे लड़के ने बिना बताए यह विद्या सिक ली और हमारे सामने साइकिल पर सवार होकर निकालने लगा।सोचा कि हम जमाने भर में
फिसड्डी रह गए हैं। सारी दुनिया चलात है, जरा-जरा से लड़के चलाते हैं, मूर्ख और गंवार च
नहीं चला सकेंगे? आखिर इसमें मुश्किल क्या है? कूदकर चढ़ गए और लगे ताबड़तोड़ पाँव माल
कि कोई राह में खड़ा है, तब टन-टन करके घंटी बजा दी। अगर न हटा तो क्रोधपूर्ण आँखों से की
गए। बस, यही तो सारा रहस्य है इस लोहे की सवारी का। कुछ ही दिनों में सीख लेंगे। हमने निक
चाहे जो हो जाए, परवाह नहीं।
उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
I. लेखक को साइकिल चलाना सीखने का विचार क्यों आया?
बैठे-बैठे ध्यान आया कि चलो, साइकिल चलाना सीख लें। इसकी शुरुआत या हुई कि हमार तक
यह विद्या सीख ली और हमारे सामने साइकिल पर सवार होकर निकलने लगा। सोचा, क्यों आया?
२- साइकिल कोन कोन चलाते हैं?
३- साइकिल चलाने में कोई मुश्किल kue नहीं h ?
४- घंटी बजने पर भी कोई ना हात्ते थो क्या किया जाता हैं ?
५- लेखक ने क्या निश्चय कर लिया?
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