की हो एक आग देखकर असीम अपने हारी पदर दे सारे जीवाणु मार दिए
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इंदौर। हिमालय की कोख गंगोत्री से निकली गंगा ( भागीरथी), हरिद्वार (देवप्रयाग ) में अलकनंदा से मिलती है। इस सफर में गंगा के जल में कुछ खास लवण और जड़ीबूटियां घुल जाती हैं। जिससे गंगा जल अन्य पानी के मुकाबले कहीं ज्यादा शुद्ध और औषधीय गुणों से परिपूर्ण हो जाता है। हर नदी के जल की अपनी जैविक संरचना होती है, जिसमें वह खास तरह के लवण घुले होते हैं। जो कुछ किस्म के जीवाणुओं-कीटाणुओं को पनपने देते हैं कुछ को नहीं। वैज्ञानिक शोधों में पता चला हैं गंगाजल में ऐसे जीवाणु हैं जो सड़ने वाले कीटाणुओं को पनपने नहीं देते हैं इसलिए यह पानी लंबे समय तक खराब नहीं होता है।
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