काहानी लेखन
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हरिपुर गांव में रामू नाम का एक लड़का रहता था l वह किसानी का काम करता था l एक दिन में खेतों में काम कर रहा था l काम करते-करते वह थक गया और फिर उसने सोचा कि क्यों ना कुछ खाने चलें l उसके खेतों के पास ही एक मिठाई की दुकान थी l उसको बहुत ही भूख लगी थी इसलिए वह मिठाई की दुकान के पास चला गया l मिठाई की दुकान के पास जाते हैं, उसे बहुत अच्छी मिठाइयों की खुशबू आने लगी l वह मिठाइयों को खाना तो बहुत चाहता था लेकिन उस दिन उसके जेब में इतने पैसे नहीं थे l ऐसे में वह मिठाई खरीद नहीं सकता था, तब वह कुछ देर वहीं खड़े होकर मिठाइयों की सुगंध का आनंद लेने लगा। वह काफी देर तक ऐसे ही मिठाइयों की सुगंध लेता रहा l परंतु कुछ देर बाद जब यह बात मिठाई वाले को पता चली , तब उससे किसान की खुशी देखी नहीं गई, वह किसान के पास गया और बोला, पैसे निकालो। फिर किसान अपने मन में सोच रहा था कि मैंने तो मिठाई खाई भी नहीं, तो फिर पैसे क्यों देना l किसान हैरान हुआ और बोला कि मैंने तो मिठाई नहीं खरीदी और न ही चखी है फिर पैसे किस बात के? हलवाई बोला, भले ही तुमने मिठाई नहीं ली हो, लेकिन मेरी बनाई मिठाई की खुशबू का आनंद तो लिया है। फिर हलवाई ने कहा तुम्हें मिठाई के पैसे देने ही होंगे, क्योंकि मिठाई की खुशबू लेना मिठाई खाने के बराबर है l इसके बाद किसान पहले तो थोड़ा घबरा गया लेकिन फिर थोड़ी देर बाद उसने सूझबूझ से काम लिया l उसने अपनी जेब से थोड़े सिक्के निकाले और उन्हें दोनों हाथों के बीच में डालकर खनकाया। अब खनकाने के बाद किसान अपने रास्ते जाने लगा। फिर हलवाई बोला अरे भाई कहां चले ! जल्द से जल्द मेरे पैसे निकालो वरना पुलिस को बुला लूंगा l फिर किसानी बिना घबराए कहा किसान ने कहा, जैसे मिठाई की खुशबू का आनंद लेने मिठाई खाने के बराबर ही है, वैसे ही सिक्कों की खनक सुनना भी पैसे लेने के बराबर ही है।