क. हमें जीवों के प्रति किस तरह की भावना रखनी चाहिए?
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समाज में व्याप्त बुराइयों का अंत हो ,मनुष्य में जीव मात्र के प्रति दया का भाव हो,संसार में सब ईमानदारी और निष्ठा से अपना कार्य करें। यह विचार शुक्रवार को आचार्य तुलसी जन्म शताब्दी समारोह समिति द्वारा निकाली जा रही अहिंसा यात्रा के आगोलाई प्रवास के दौरान आचार्य श्री महाश्रमण ने कही।
शुक्रवार को आचार्य तुलसी जन्म शताब्दी समारोह समिति द्वारा निकाल जा रही अहिंसा यात्रा बालेसर पंचायत समिति की ग्रामपंचायत आगोलाई में रुकी। जहां पर जैन समाज के आचार्य श्री महाश्रमण ने बताया की आचार्य तुलसी जन्म शताब्दी समारोह समिति द्वारा अहिंसा यात्रा निकाली जा रही है। यह यात्रा राजस्थान के बारह जिलों में जा चुकी है। तेरहवां जिले जोधपुर में यह यात्रा चल रही है। उन्होंने बताया की आचार्य महाश्रमण का चातुर्मास 17 जुलाई को प्रारंभ होगा। जो 17 नवम्बर 2013 को जैन विश्व भारती लाडनूं में समापन होगा। इस मौके उन्होंने कहा की इस अहिंसा यात्रा के माध्यम से अनुकम्पा की चेतना का विकास का संदेश प्रसारण की यात्रा है। वर्तमान युग में हिंसा के रूप में ऐसी अनेक प्रवृत्तियां है जो समाज राष्ट्र, एवं मानव जाति के सांस्कृतिक मूल्यों को विनाश कर रही है। राष्ट्र संत आचार्य महाप्रज्ञ ने इस यात्रा का सुजानगढ़ से शंखनाद किया था। इस यात्रा के माध्यम से कन्या भ्रूण हत्या को रोकना, नशामुक्त समाज की रचना करना ,जीवों के प्रति दया की भावना रखना,आपसी प्रेम और भाईचारे से जीवनयापन करना आदि संदेश लोगों को दिए जाते है। अहिंसा यात्रा में 32 साधु और 45 साध्वियां शामिल हैं।
आगोलाई में हुआ स्वागत
अहिंसा यात्रा के आगोलाई पहुंचने पर पूर्व सरपंच पारसमल जैन, भोपालचंद जैन, मुन्नालाल शर्मा, खेमराज जैन, मीठालाल जैन सहित जैन समाज के कई महिला पुरुषों ने यात्रा का स्वागत किया। यात्रा ने शुक्रवार को दिन भर आगोलाई में विश्राम किया। शनिवार को बंबोर के लिए रवाना होगी।