Hindi, asked by DhrutiC, 20 days ago

कोइ भी चित्र बनाकर उसका वर्णन कीजिये।
in 80-100 words.
please also show the drawing....
Class 8

Answers

Answered by sawantprasad0706
1

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Garden Essay in Hindi for class 5/6 in 100 words

Garden Essay in Hindi for class 7/8 in 200 words

Garden Essay in Hindi for class 9/10 in 500 words

Garden Essay in Hindi for class 5/6 in 100 words

बगीचा जहाँ कहीं भी हो सबके मन को बहुत भाता है। बगीचे में पेड़-पौधों की हरियाली और रंग-बिरंगे फूल मन को बहुत हर्षाते हैं। बगीचे भी कई प्रकार के होते हैं। जैसे फलों का बगीचा, फूलों का बगीचा या ऐसा बगीचा जहाँ लोग चहल-कदमी करने आते हैं। चहल-कदमी वाले बगीचे शहरों में कई स्थानों पर मिल जाते हैं। जहाँ सभी उम्र के लोग आते हैं। बच्चे खेलने, युवा और बुजुर्ग चहल-कदमी करने। ऐसे बगीचों में बगीचे के चारों तरफ पक्की सड़क रहती है जिसमें आराम से बिना किसी को परेशान करे चहल-कदमी की जा सके।

Garden Essay in Hindi for class 7/8 in 200 words

Garden Essay in Hindiपेड़-पौधे ईश्वर की बहुत ही सुंदर रचना है और इनके बगीचे तो मन को मोह ही लेते हैं। बगीचे में काम करने से इन्सान को मानसिक संतोष के साथ-साथ शरीर भी स्वस्थ रहता है। थका हुआ इंसान बगीचे में बैठकर आराम भी करते हैं। बगीचे में आकर पेड़-पौधे देखकर और चिड़ियों की चहचहाट सुनकर मन में नई उमंग सी जागती है और परेशान, उदास व निराश मन भी आशा की किरण से चमकने लगता है। बगीचे हमें अवकाश के समय में प्रकृति की प्रशंसा करने का मौका देते हैं। लोग सुबह उठकर इनमें भ्रमण करके स्वास्थ्य लाभ लेते हैं और अपने शरीर को स्वस्थ रखते हैं। बगीचे में प्रकृति का सौंदर्य देखकर हमारे मन में चेतना का एक नया संचार होता है।

आजकल विकास के नाम पर लोग कंकरीट के जंगल तो तैयार कर रहे हैं लेकिन छोटे-छोटे बगीचे नहीं। यदि बगीचे ही न होंगे तो लोग कहाँ प्रकृति की छाया एवं शीतलता का आनन्द ले पायेंगे। यह हमारे ऊपर है कि हम कि प्रकार प्रकृति का सम्मान करते हुए छोटे-छोटे बगीचों को तैयार करें जो हमारी आँखों के साथ-साथ हमारे मन को भी स्वस्थ रखेगा। बच्चे बगीचों में काम करके भावनात्मक रूप से भी विकसित होते हैं। यदि बच्चों को बगीचे ही न मिलेंगे तो वे भी कंकरीट के जंगलों जैसे कठोर होते जायेंगे।

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Answered by raitamanna64
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इस हृदय विदारक दृश्य को देखकर रोम-रोम सिहर उठता है। रेल दुर्घटना में इंजन सहित चार डिब्बे पटरी से उतर गए हैं। जिस दूसरी ट्रेन से वह टकराई है उसके भी दो डिब्बे क्षतिग्रस्त हो गए हैं। चारों ओर अफरा-तफरी का माहौल है। लोगों की चीख-पुकार से सारा वातावरण गूंज उठा है। सभी लोग असमंजस की स्थिति में नज़र आ रहे हैं। कुछ यात्री अपने साथ के यात्रियों की सहायता में जुटे हुए हैं। सेना के जवान भी लोगों की सहायता के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा रहे हैं। एक बच्चा अपने मृत माँ के पास बैठा रो रहा है। उस बच्चे के रोने को देख आस-पास के लोगों के हृदय भी पीडा से भर गए हैं। ऐसा लगता है कि यह आपदा प्रकति के प्रकोप की नहीं बल्कि मानवीय भल का परिणाम है। ऐसी दुर्घटनाओं को सावधान रहकर रोका जा सकता है। काश! मनुष्य अपनी लापरवाही को थोड़ी लगाम देना सीख जाए।

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