कोइ एक मौलिक कहानी लिखिए जिसका अंत निम्नलिखित पंक्तियों से होता हो
"आज का दिन तो जैसे-तैसे बीत गया, न कल का क्या होगा" 300-400 words
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भूखे प्यासे पेड़ के नीचे ठंड से ठिठुर रहे थे। उनको अपने तीसरे दोस्त कि बात याद रही थी कि काश हमने उसकी बात मान ली होती और आज इस यात्रा पर नहीं निकलते। दोनों दोस्तों एक दूसरे का चेहरा देख रहे थे । एक ने कहा आज का दिन जैसे तैसे बीत गया , न जाने कल क्या होगा
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