History, asked by abhishekk1473061, 7 months ago

कोई भी ऐशा समाज कभी सुखी और संपन्न नहीं हो सकता है जिसके अधिकांस सदस्य निर्धन और दयनीय हो यह कथन किसका है​

Answers

Answered by aditi8272
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Explanation:

यह कथन उचित ही है की "समाज के पास अगर शाश्वत मूल्यों जैसा कुछ है तो वह आदर्शवादी लोगों का ही दिया हुआ है"

हम जानते हैं आदर्श और मूल्यों का संबंध घनिष्ठ है बिना आदर्श के मूल्य नहीं हो सकते तथा बिना मूल्यों के आदर्श स्थापित नहीं हो सकता |

उदाहरण के लिए हम आज भी राम राज्य की बात करते हैं | भगवान राम का राज्य एक आदर्श है | लेकिन क्या बिना मूल्यों के आदर्श स्थापित हो सकता है?, बिल्कुल नहीं | जब तक हनुमान जैसे भक्त, भरत जैसे भाई और राम के जैसे राजा नहीं होंगे राम राज्य की कल्पना भी नहीं की जा सकती |

इसी प्रकार महाभारत में कृष्ण और अर्जुन धर्म की रक्षा के लिए आदर्श प्रस्तुत करते हैं |

अतः यह स्पष्ट है की समाज में शाश्वत मूल्य तो आदर्शवादी व्यक्तियों की देन है |

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