Art, asked by snehOP, 3 months ago

कोई भी एक चित्रकला के बारे में विस्तृत बताइए??​

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Answered by itspiyushhere
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Answer:

मोना लिसा  इतालवी: मोना लिसा  या ला गिओकोंडा  फ्रेंच; ला जोकेन्डे  इतालवी कलाकार लियोनार्डो डारियस द्वारा बनाई गई एक आधी लंबाई वाली चित्र पेंटिंग है। इटालियन पुनर्जागरण की एक उत्कृष्ट कृति,  को देखते हुए इसे "दुनिया में कला के सबसे पारमार्थिक कार्यों" के बारे में सबसे ज्यादा जाना जाने वाला, सबसे ज्यादा लिखा जाने वाला, सबसे ज्यादा जाना जाने वाला, सबसे ज्यादा जाना जाने वाला "कहा गया है।  पेंटिंग के उपन्यास गुणों में विषय की गूढ़ अभिव्यक्ति शामिल है,  रचना की स्मारकता, रूपों की सूक्ष्म मॉडलिंग और वायुमंडलीय भ्रम।

पेंटिंग शायद इतालवी रईस लिसा घेरार्दिनी की है, जो फ्रांसेस्को डेल जियोकोंडो की पत्नी है, और एक सफेद लोम्बार्डी चिनार के पैनल पर तेल में है। माना जाता है कि इसे 1503 और 1506 के बीच चित्रित किया गया था; हालांकि, लियोनार्डो ने संभवत: 1517 तक देर से काम करना जारी रखा। इसे फ्रांस के राजा फ्रांसिस I द्वारा अधिगृहीत कर लिया गया था और अब 1797 से पेरिस के लौवर, पेरिस में स्थायी प्रदर्शन पर, खुद फ्रांसीसी गणराज्य की संपत्ति है।

मोना लिसा दुनिया में सबसे मूल्यवान चित्रों में से एक है। यह 1962 में यूएस $ 100 मिलियन [11] के इतिहास में सबसे अधिक ज्ञात बीमा मूल्यांकन के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड (2019 में $ 660 मिलियन के बराबर) रखती है।

Answered by latabara97
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अमृता शेरगिल

जन्म: 30 जनवरी 1913, बुडापेस्ट, हंगरी

मृत्यु: 5 दिसम्बर 1941, लाहौर, ब्रिटिश इंडिया

कार्यक्षेत्र: चित्रकारी

अमृता शेरगिल एक सुप्रसिद्ध भारतीय महिला चित्रकार थीं जिन्हें 20वीं शताब्दी के भारत का एक महत्वपूर्ण महिला चित्रकार माना जाता है। उनकी कला के विरासत को ‘बंगाल पुनर्जागरण’ के दौरान हुई उपलब्धियों के समकक्ष रखा जाता है। उन्हें भारत का सबसे महंगा महिला चित्रकार भी माना जाता है। 20वीं सदी की इस प्रतिभावान चित्रकार को भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण ने सन 1976 और 1979 में भारत के नौ सर्वश्रेष्ठ कलाकारों की सूचि में शामिल किया। सिख पिता और हंगरी मूल की मां मेरी एंटोनी गोट्समन की यह पुत्री मात्र 8 वर्ष की आयु में पियानो-वायलिन बजाने के साथ-साथ कैनवस पर भी हाथ आजमाने लगी थी।

प्रारंभिक जीवन

अमृता शेरगिल का जन्म 30 जनवरी 1913 को हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में हुआ था। उनके पिता का नाम उमराव सिंह शेरगिल मजीठिया और माता का नाम एंटोनी गोट्समन था। उनके पिता संस्कृत-फारसी के विद्वान व नौकरशाह थे जबकि अमृता की माता हंगरी मूल की यहूदी ओपेरा गायिका थीं। अमृता अपने माता-पिता की दो संतानों में सबसे बड़ी थीं। उनकी छोटी बहन का नाम इंदिरा शेरगिल (बाद में सुन्दरम) था। उनका ज्यादातर बचपन बुडापेस्ट में ही बीता। वे मशहूर इन्दोलोजिस्ट एर्विन बकते की भांजी थीं। बकते ने अमृता के कार्य का समीक्षा किया और आगे बढ़ने में मदद की। बकते ने ही अमृता को अपने चित्रकारी के लिए नौकरों-चाकरों को मॉडल्स के रूप में लेने के लिए प्रोत्साहित किया।

सन 1921 में अमृता शेरगिल का परिवार शिमला (समर हिल) आ गया। अमृता ने जल्द ही पियानो ओर वायलीन सीखना प्रारंभ कर दिया और मात्र 9 वर्ष की उम्र में ही अपनी बहन इंदिरा के साथ मिलकर उन्होंने शिमला के गैएटी थिएटर में संगीत कार्यक्रम पेश करना और नाटकों में भाग लेना प्रारंभ कर दिया। सन 1923 में अमृता की मां एंटोनी एक इतालवी मूर्तिकार के संपर्क में आयीं जो शिमला में ही रहता था और जब वो सन 1924 में इटली वापस जा रहा था तब एंटोनी अपनी बेटी अमृता को लेकर उसके साथ इटली चली गयी जहाँ उसका दाखिला फ्लोरेंस के एक आर्ट स्कूल में करा दिया। अमृता इस आर्ट स्कूल में ज्यादा समय तक नहीं रहीं और जल्द ही भारत लौट आई पर वहां पर उन्हें महान इतालवी चित्रकारों के कार्यों के बारे में जानकारी हासिल हुई।

16 वर्ष की उम्र में अमृता अपनी मां के साथ चित्रकारी सीखने पेरिस चली गयीं। पेरिस में उन्होंने कई प्रसिद्द कलाकारों जैसे पिएरे वैलंट और लुसिएँ साइमन और संस्थानों से चित्रकारी सीखी। अपने शिक्षक लुसिएँ साइमन, चित्रकार मित्रों और अपने प्रेमी बोरिस तेज़लिस्की के प्रभाव में आकर उन्होंने यूरोपिय चित्रकारों से प्रेरणा ली। उनकी शुरूआती पेंटिंग्स में यूरोपिय प्रभाव साफ़ झलकता है। सन 1932 में उन्होंने अपनी पहली सबसे महत्वपूर्ण कृति ‘यंग गर्ल्स’ प्रस्तुत की जिसके परिणामस्वरूप उन्हें सन 1933 में पेरिस के ग्रैंड सालों का एसोसिएट चुन लिया गया। यह सम्मान पाने वाली वे पहली एशियाई और सबसे कम उम्र की कलाकार थीं।

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