कोई भी शिक्षाप्रद कहानी, कविता या नाटक लिखे।
Answers
Explanation:
छोटी छोटी शिक्षाप्रद कहानियाँ-मां और बेटी
एक बार घोड़ों का एक सौदागर पूना आया। वह अपने साथ दो अरबी घोड़ियां लाया था। दोनों जानवर बेहद खूबसूरत थे। उनका रंग दूधिया सफेद था और वह बड़ी उम्दा नस्ल के थे। दौड़ में उन्हें कोई हरा नहीं सकता था।
दोनों जानवर देखने में हूबहू एक जैसे थे। ऐसा लगता था जैसे वे एक ही मटर की फली के दो दाने हों। देश के इस भाग में ऐसे अच्छे जानवर कभी देखने को नहीं मिलते थे। कई लोग उन घोड़ियों को खरीदना चाहते थे।
“इनका दाम बोलो,” कई खरीदारों ने इस सौदागर से कहा। अच्छी नस्ल की इन घोड़ियों के लिए लोग ऊंची-ऊंची कीमत लगाने लगे। मगर सौदागर उन्हें बेचने के लिए नहीं लाया था। वह उन्हें पूना के शासक बाजीराव पेशवा को भेंट करना चाहता था। लेकिन एक शर्त पर। दरअसल दोनों घोड़ियां मां और बेटी थीं। परंत देखने में दोनों बिलकुल एक जैसी लगती थीं। यह बता पाना मुश्किल था कि उनमें कौन मां है, और कौन बेटी।
“मैं एक सरल सा सवाल पळता हं.”सौदागर ने कहा, “इनम का साना ह आर कौन सी बेटी? दोनों की एक जैसी ऊंचाई, एक जैसी चाल, एक जैसी आंखें।”
“मैंने पूना दरबार की बहुत तारीफ सुनी है,” सौदागर ने मुस्कराते हुए कहा। मैं उसे खुद आजमाने आया हूं। अगर आप दोनों घोड़ियों में अंतर बता पाएंगे तो मैं उन्हें आपको सौंप दूंगा और बाकी की सारी जिंदगी आपका प्रशंसक बना रहूंगा। दरबार में सभी की आंखें नाना पर आकर जम गईं। पेशवा ने नाना को गोद में लेकर अपने बेटे की तरह पाला था। यह समस्या बहुत ही कठिन थी और एक बार तो नाना भी उलझन में पड़ गए। सौदागर ने यह भी कहा कि अगर नाना उसके सवाल का सही जवाब नहीं दे पाए तो वह सारी दुनिया में इस बात का ढिंढोरा पीटेगा।
नाना ने इस चुनौती को स्वीकार किया। उन्होंने समस्या के हल के लिए चंद दिनों की मोहलत मांगी। उन दिनों बारिश का मौसम था। नदी के दोनों किनारे पानी के बहाव से उफन रहे थे। बारिश वाले दिन, दोपहर के समय नाना ने सौदागर को दोनों घोड़ियां लेकर बुलवाया। फिर पूरा कारवां उठकर नदी की ओर बढ़ा। नदी का पानी खूब बढ़ चुका था। पानी बड़े वेग से और जोश के साथ बह रहा था।
“दोनों घोड़ियों को पानी में जाने दो,” नाना ने कहा, “उन्हें नदी के दूसरे किनारे पर पहुंचने दो।”
दोनों घोड़ियों को बाढ़ आई उस नदी में जबरदस्ती धकेला गया। उन्होंने पहले तो एक दो डुबकियां लगाईं, फिर धीरे-धीरे स्थिर होकर वे कंधे से कंधा मिलाकर उस तूफानी नदी में तैरने लगीं। जब वे नदी के बीच में पहुंची तो वहां पानी का बहाव तेज था। एक क्षण के लिए दोनों थोड़ा सहमीं। किनारे पर खड़े लोग टकटकी लगाए उन्हें बड़ी उत्सुकता से देख रहे थे। तभी एक घोड़ी ने तेजी से आगे बढ़कर रास्ता दिखाया। दूसरी घोड़ी उसके पीछे-पीछे तैरने लगी।
“देखो!” नाना चिल्लाए, “वह आगे वाली घोड़ी ही मां है। दोनों में वह अधिक अनुभवी है, इसीलिए मुश्किल की घड़ी में उसी ने अगुवाई करने की ठानी। मां की तरह वह खुद खतरा झेलने को तैयार है। देखो, दोनों उस पार सुरक्षित पहुंच गई हैं। हर कोई अब सौदागर का मुंह ताकने लगा।
क्यों”, पेशवा ने पूछा, “क्या नाना ने सही बताया?” “परवर दिगार”, सौदागर ने कहा, “ये शाही जानवर अब आपके हैं।”