कोई लहर न रोक सकेंगी
हम मंजिल के दीवाने
संकल्पों के हम हैं सागर
साहस के ध्रुवतारे हैं।
कभी न बाधाओं के आगे पाँव हमारे हारे हैं।
तूफानों को तौल चुके हम
सब हैं जाने- पहचाने
भाग्य हमारी मुट्ठी में है
स्वयं विधाता हम जग के
फिर क्यों किसी आँख में आँसू
बरबस आ-आकर छलकें ।
इस काव्यांश का कोई उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
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it is song or poem, by the way it was very interesting
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वाह क्या कविता है। मजा आ गया।
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