कोई न छायादार पेड़ से कवि का क्या तात्पर्य है
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आप जानते हैं कि 'निराला' सिद्ध कवि हैं। वे शब्दों और वर्ण्यवस्तु का चयन विशेष आशय से करते हैं। जैसे इन्हीं पंक्तियों में देखिए : "कोई न छायादार/पेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार श्याम तन, भर बँधा यौवन/नत नयन प्रिय, कर्म-रत मन"। ... कवि प्रारंभ के वाक्य में ही कहता है – 'वह तोड़ती पत्थर ।
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आप जानते हैं कि 'निराला' सिद्ध कवि हैं। वे शब्दों और वर्ण्यवस्तु का चयन विशेष आशय से करते हैं। जैसे इन्हीं पंक्तियों में देखिए : "कोई न छायादार/पेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार श्याम तन, भर बँधा यौवन/नत नयन प्रिय, कर्म-रत मन"। ... कवि प्रारंभ के वाक्य में ही कहता है – 'वह तोड़ती पत्थर ।
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