Hindi, asked by nmohd2268, 1 year ago

कोई नहीं पराया नामक कविता का केद्रीय भव लीखीए

Answers

Answered by Blackrepeat
47
कोई नहीं पराया मेरा का केंद्री‌य भाव यह है कि हमें आपस में बैर नहीं रखना चाहिए तथा एक , दूसरे के साथ प्रेम से रहना चाहिए ।
Answered by bhatiamona
65

Answer:

कोई नहीं पराया मेरा, यह कविता गोपालदास नीरज द्वारा लिखी है |

इस कविता में कवि  ने संसार में कोई अपना कोई पराया नहीं है इसका वर्णन किया है |

यह अपना है यह पराया है , किसने जाना यह अपना है और पराया है, बेहद कठिन है, जिसको हम अपना मानते है, कुछ ही दिनो मे वह पराया हो जाता है, पराया अपना हो जाता है, काम निकलने के बाद न कोई अपना रहता है ना कोई पराया, यही संसार की रित है |  

यह जाती – पाती की भीड़ कुछ नहीं है ना ये धर्म कुछ है , ना यह संसार , ना मेरा घर|

कंही भी रहिए बस अपनी  इंसानियत अपने साथ रखिए | बस वो ही हमारी है |

इस संसार में कुछ भी किसी का नहीं है सब पराया है |  जितना समय है सबके साथ खुशी से रहना चाहिए|

Similar questions