"कोई धेलचा कनकौआ किसी गंडेवाले कनकौए को काट गया हो।" वाक्य मे 'धेलचा कनकौआ' और 'गंडेवाले कनकौए' का अर्थ बताइए।
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मुंशी‘ प्रेमचंद’ द्वारा लिखी गई “ईदगाह” कहानी में बेलचा कनकऔआ कुतर्क का तथा गंडे वाला कनकौआ प्रभावी तर्क का प्रतीक है।
प्रेमचंद ने इस कहानी में इसकी मिसाल देकर ही यह सिद्ध करने की कोशिश की है कि कहानी के एक प्रमुख पात्र हामिद के प्रभावी कुतर्क से अन्य लड़कों के तर्क प्रभावहीन हो गए थे और उन्हें इसका कोई जवाब देते ना बनता था। उन लड़कों को हामिद के कानून पेट में डालने वाले उत्तर की कोई काट नहीं सूझी।
ईदगाह कहानी में हामिद ने जब लोहे का चिमटा खरीदा तो उसने अपने साथियों के सामने उस चिमटे की उपयोगिता सिद्ध करने की कोशिश की और उसने अपने तर्कों द्वारा अपने दोस्त को बताने की कोशिश की कि खिलौने तो मिट्टी के बने हैं और वे तो जल्दी ही टूट जाएंगे। परंतु चिमटा लोहे का बना है और मजबूत है। वह जल्दी नहीं टूटने वाला। आग पानी तूफान सभी का मुकाबला कर सकता है। शेर की गर्दन पर वार कर सकता है और उसकी आंखें निकाल सकता है। उसका चिमटा बहादुर है वह अपने वार से खिलौनों को तोड़ सकता है। उसके इन तर्कों का उसके साथी लड़कों के पास कोई जवाब नहीं था।
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दो बैलों की कथा में लेखक ने जापान का मिसाल देकर क्या स्पष्ट करने किया है?
A: इसका अर्थ समझने के लिए इसमें प्रयुक्त अप्रचलित शब्दों के अर्थ समझिये।
धेलचा- आधा पैसे का सिक्का
कनकौवा- पतंग, गुड्डी
गंडेवाले- अभिमंत्रित धागे वाले, गंडा जो गले में पहनते हैं उसका धागा बहुत ज्यादा मजबूत होता है।
मतलब एकदम साधारण पतंग द्वारा मंहगे और मजबूत पतंग को काटना।
यहाँ सार होगा कि हामिद के साधारण चिमटे ने दूसरे बच्चों के महंगे और आकर्षक खिलौनों को पराजित कर दिया।
Explanation: