(क) 'ईश्वर की रचना दोष रहित है' क्या आप इस विचार से सहमत हैं?
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Answer:
यह संसार ईश्वरकृत रचना है। ईश्वर के अतिरिक्त संसार में ऐसी कोई शक्ति व सत्ता का अस्तित्व नहीं है जो संसार की रचना कर सके। बिना चेतन सत्ता, जिसमें बुद्धि और कर्म करने की शक्ति हो, वही बुद्धिपूर्वक, प्रयोजन सिद्ध करने वाली व विलक्षण रचना को कर सकती है। सृष्टि स्वतः बन गई, यह विद्वानों का सिद्धान्त नहीं है।
Answer:
हम इस संसार में उत्पन्न हुए हैं व वर्षों से रह रहे हैं। जन्म से पूर्व हम कहां थे, क्या करते थे, हम कुछ नहीं जानते हैं? इस जन्म से पूर्व की सभी बातों को हम भूल चुके हैं। ऐसा होना स्वाभाविक ही है। हम बहुत सी बातों को जो कुछ मिनट या घंटों पहले हमारे जीवन में घटित होती हैं, उन्हें भी साथ साथ भूलते जाते हैं। इसके कई उदाहरण दिये जा सकते हैं। हमने एक या आधा घंटे पहले किसी व्यक्ति से जो बातें की हैं उसको हम ठीक उसी क्रम में नहीं दोहरा सकते। उसका सार व विषय वस्तु तो हमें स्मरण रहती है परन्तु अपने व दूसरों के शब्दों व वाक्यों का क्रम हमें स्मरण नहीं रहता। हमने कल प्रातः से रात्रि तक जो-जो काम किये उनका क्रम भी हम भूल जाते हैं। कल हम किस-किस से मिले, किस रंग के वस्त्र धारण किये थे, किनके फोन आये व किनको फोन किये, उनसे कितनी देर क्या बातें की, क्या-क्या पदार्थ भोजन व प्रातराश में खाये, कहां-कहां गये, हमने क्या-क्या दृश्य देखे, इनमें से अधिकांश बातें हम भूल जाते हैं। इसी प्रकार अपने इस जीवन की भी अधिकांश बातों जो महीनों व वर्षों पूर्व घटित हुई है जिन्हें हम स्वीकार करते हैं परन्तु उनका पूरा पूरा विवरण हम भूल जाते हैं। इसी प्रकार हमें अपने पूर्वजन्मों की बातें स्मरण नहीं हैं। इस स्थिति में हम यह नहीं मान सकते कि हमारा पूर्वजन्म था ही नहीं।