का। जाह लाग
त
स
(ग) कत सुखसार पाओल तुम तीरे,
छाड़इत निकट नयन बह नीरे।
कर जोरि बिनमओं विमल तरङ्गे,
पुनः दरसन होए पुनमति गंगे।
(घ) पहिलैं करि परनाम नंदराइ सौं
ता पाछै पालागन, कहियौ जसुमति माई सौं।
बार एक तुम बरसाने लौं, जाइ सबै सुधि लीजौ।
कहि वृषभानु महर सौं मेरो समाचार जब दीजौ।।
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कत सुखसार पाओल तुम तीरे,
छाड़इत निकट नयन बह नीरे।
कर जोरि बिनमओं विमल तरङ्गे,
पुनः दरसन होए पुनमति गंगे।
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