Hindi, asked by bhasitadasari7893, 3 months ago

कंजूस कहानी को आगे बढ़ाते हुए 10 पंक्तियां लिखिए

Answers

Answered by SAMYAKMAHINDRAKAR
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Answer:

एक आदमी बहुत कंजूस था वो हार चीज के लिये कांजीसी करता था उसके घर मे उसकी पत्नी ओर उसके दो बेटे राहते थे। वो बहुत कंजूस था इसलीये उसके बेटे उससे प्यार नाही करते थे । वो खाना खाने मै भी कंजूसी करता था। वो आदमी रास्ता बनाने का काम करता था।

Answered by janvidahiya58
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Answer:

बल्लू शाह गुजरात का रहने वाला था और बड़ा ही कंजूस मक्खीचूस था

Explanation:

पढ़पढ़ रही है 1 दिन की बात है उसने एक ऊंचे पेड़ पर बढ़िया पके खजूर लगे लेकिन बल्लू शाह का जी ललचा गया मगर इतनी ऊंचाई में खजूर तोड़े तो कैसे किसी दूसरे से कहो तो वह मजदूरी मांगी अतः मैं यह हम लगा रहे हैं मेरे उसने खुद ही पेड़ पर चढ़ने की सूची वह जैसे तैसे करके पेड़ के सिरे पर बहुत ही गया वह खजूर तोड़ने ही वाला था कि उसकी नजर नीचे की ओर पड़ी जमीन तो पाताल में नजर आ रही थी डर के मारे अपने हाथ-पैर फूल गए उसने मन ही मन प्रण किया कि सही सलामत उतर गया तो एक हजार ब्राह्मणों को भोजन खिलाऊंगा वह थोड़ा नीचे सड़क आया तो सोचने लगा कि 1000 तो ज्यादा हो जाएगा तो 200 की काफी रहेगी इस इस प्रकार वह धीरे-धीरे नीचे सरकता गया और ब्राह्मणों की संख्या घटता चला गया अंत में वह जमीन पर उतर गया और भगवान को प्रसन्न करने के लिए केवल एक ब्राह्मण को खाना खिलाने का प्रण किया

घर पहुंचकर बल्लू शाह एक ब्राह्मण को भोजन के खर्च का हिसाब लगाने लगे वह खर्च को घटाने का तरीका सोचने लगे उसने ऐसे ब्राह्मण को बुलाने की बात क्योंकि जो कम खाता है काफी भागदौड़ के बाद उसे पता चला कि पैसा कम खाने वाला ब्राह्मण जानकी दास है उसने अपनी पत्नी को समझा दिया कि खाने में

जब जानकीदास में बल्लू शाह को पेट की ओर जाते देखा तो वह मौका देखकर बल्लू शाह के घर जा कर धमका अभी खाने की तैयारी चल रही थी शामली बोली आपके भोजन की तैयारी तो हो रही है यदि कोई और आ गया हो तो मैं उसी के मुताबिक काम करूंगी

बेटी बचाओ पंडित जानकी दास ने कहा परंतु केवल एक ब्राम्हण को खिलाने का है परंतु तुम्हें 10-12 आदमियों को बराबर भोजन तैयार करना होगा गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए तीन प्रकार की मिठाइयां भी रखती जाए तो ठीक रहेगा इतना कहकर जानकीदास चला गया

शामली ने दो पार होने तक भोजन पका कर तैयार कर दिया थोड़ी देर बाद ब्राह्मण देवता भी आए

जानकी दास खाना खाने बैठ गया उसने खूब बैठकर भोजन किया पर उसका पेट भर गया तो उसे अपनी चादर फैलाई और बचा हुआ सारा भोजन बांध लिया देवताओं के लिए भेंट के लिए दी हुई गई सोने की मोहरे उसने अपनी टेंट में खुशी और कहां भोजन बहुत अच्छा था

बेचारी शामली मन ही मन डर रही थी कि बालू साथ इस तरह दक्षिण देना कतई पसंद नहीं करेंगे पूरी तरह संतुष्ट होकर जानकीदास घर लौट आया घर पर उसने अपनी बीवी से कहा कि कुछ ही देर में बालूसा हमारे घर आएंगे वह बहुत गुस्से में होंगे तुम्हें जो कुछ करना है मैं भली प्रकार समझ लो यह कहकर वह सो गया जब बालूशाही घर पहुंचे तो उसने अपनी पत्नी ने ब्राम्हण को खाने और बच्चों की बात बताइए तो वह गुस्से में आग बबूला हो गए एक डंडा लेकर जानकीदास के घर की ओर दौड़ की पत्नी ने अपने घर की ओर आता देखा तो है छाती की दी हुई दौड़ते मार मार कर रोने लगी वह चीख कर कह रही थी तूने मेरे पति का क्या हाल बना दिया तूने उसे जहर खिला दिया तेरे घर का खाना खाकर ही मेरे पति का बुरा हाल हुआ है यदि मेवाती मर गए तो पुलिस पकड़ कर फांसी पर चढ़ा देगी

जरा धीरे धीरे बोलो बालू शाह ने गिड़गिड़ा कर कहा कहीं लोग सुन लेंगे तुम डॉक्टर को क्या क्यों नहीं बुला लेती

ब्राह्मण की पत्नी ने गला फाड़कर कहा हमारे पास डॉक्टर को देने के लिए पैसे नहीं है फोन सोने की 10 मोहरे दो मैं अभी डॉक्टर बुलाती है अगर डॉक्टर ना मिला तो तुझे फांसी जरूर हो जाएगी इससे मुझे घर जाने दो वह से सोने की मोहर भिजवा दूंगा बालू सा गिरा या घर जाकर बालू सामने चटपट अपनी तिजोरी खोली और 10 सोने की मोहर निकालकर जानकीदास को के लड़के को देने वालों ने एक बार फिर प्रण किया भगवान मुझे फांसी के फंदे से बचा लो अबकी बार मैं पूरे 1000 ब्राह्मणों को भोजन करवा लूंगा

शिक्षा। लालची व्यक्ति का बुरा हाल होता है

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