काजिश
(बच्चों की गवर्नेस जूलिया वासिन्देवना आती है।)
जूलिया (दबे स्वर में) आपने मुझे बुलाया था मालिक ?
गृहस्वामी : हाँ हाँ.... बैठ जाओ जूलिया..., खड़ी मत रही।
जूलिया (बैठती हुई) शुक्रिया।
गृहस्वामी : जूलिया, मैं तुम्हारी तनख्वाह का हिसाब करना चाहता हूँ।
मेरे ख्याल से तुम्हें पैसों की जरूरत होगी । और जितना मैं तुम्हें जान सका
हूँ, मुझे लगता है कि तुम अपने आप पैसे भी नहीं माँगोगी। इसलिए मैं खुद
।
ही तुम्हें पैसे देना चाहता हूँ। हाँ तो तुम्हारी तनख्वाह तीस रुबल महीना तय
हुई थी न ?
जूलिया (विनीत स्वर में) जी नहीं मालिक, चालीस रुबल।
गृहस्वामी ; नहीं भाई, तीस.... ये देखो डायरी, (पन्ने पलटते हुए) मैंने इसमें नोट कर
रखा है। में बच्चों की देखभाल और उन्हें पढ़ाने वाली हर गवर्नेस को तीस
रूबल महीना ही देता हूँ। तुमसे पहले जो गवर्नेस थी, उसे भी मैं तीस रुबल
ही देता था। अच्छा, तो तुम्हें हमारे यहाँ काम करते हुए दो महीने हुए हैं।
जूलिया। (दबे स्वर में) जी नहीं, दो महीने पाँच दिन।
गृहस्वामी: क्या कह रही हो जूलिया ? ठीक दो महीने हुए हैं। भाई, मैंने डायरी में सब
नोट कर रखा है। हाँ, तो दो महीने के बनते हैं जब महीने में तुमने एक दिन
भी छुट्टी न ली हो.... तुमने इतवार को छुट्टी मनाई है। उस दिन तुमने
कोई काम नहीं किया। सिर्फ कोल्या को घुमाने के लिए ले गई हो... और ये
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Ye kya h byi.. Out of coverage
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