के
कुछ विद्वानों ने इसे मुस्लिम धर्म के विरुद्ध आर्य धर्म की प्रक्रिया मान
भारत में मुसलमानों ने सूफी मत का प्रचार किया था) सूर्फ
अनुसार परमात्मा को अनंत सौंदर्य रूप और सर्वव्यापी मानते हैं
परमात्मा के संबंध तोड़नेवाली शक्ति शैतान है) शैतान से ब
परमात्मा से मिलने कठोर साधना को आवश्यक मानते हैं। इस
चार सोपान हैं - प्रहली अवस्था नासूत है। इस में कुरान
पालन करता है। दूसरी अवस्था) मलकूत। इस अवस्था में वह
जाता है। तीसरी अवस्था है मरिफल ।)इसमें ईश्वर से मिलने का
करती है। मौथी अवस्था है हकीकता परमात्मा में ऐक्य का अनुभ
सूफी मत में प्रेम को अत्यंत महत्व प्राप्त है। इस संप्रदाय में
रनिल बाधाओं को दूर करता
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