Hindi, asked by kakuaashit, 3 months ago

कोको की रोटियां मीठी थी visasal sabad​

Answers

Answered by Anonymous
6

Answer:

नहीं कोको की तो चावल की रोटियां थी

Answered by PixleyPanda
0

Answer:

Explanation:

सुहाग की सुहानी रात थी. दस बज गए थे. खुले हुए हवादार सहन में चांदनी छिटकी हुई थी, वह चांदनी जिसमें नशा है, आरजू है और खिंचाव है. गमलों में खिले हुए गुलाब और चम्पा के फूल चांद की सुनहरी रौशनी में ज़्यादा गम्भीर ओर ख़ामोश नज़र आते थे. मगनदास इन्दिरा से मिलने के लिए चला. उसके दिल से लालसाएं ज़रूर थीं मगर एक पीड़ा भी थी. दर्शन की उत्कण्ठा थी मगर प्यास से खोली. मुहब्बत नहीं, प्राणों का खिंचाव था जो उसे खींचे लिए जाता था. उसके दिल में बैठी हुई रम्भा शायद बार-बार बाहर निकलने की कोशिश कर रही थी. इसीलिए दिल में धड़कन हो रही थी. वह सोने के कमरे के दरवाज़े पर पहुंचा. रेशमी पर्दा पड़ा हुआ था. उसने पर्दा उठा दिया अन्दर एक औरत सफ़ेद साड़ी पहने खड़ी थी. हाथ में चन्द ख़ूबसूरत चूड़ियों के सिवा उसके बदन पर एक ज़ेवर भी न था. ज्यों ही पर्दा उठा और मगनदास ने अन्दर क़दम रक्खा वह मुस्कराती हुई उसकी तरफ़ बढ़ी. मगनदास ने उसे देखा और चकित होकर बोला-रम्भा! और दोनों प्रेमावेश से लिपट गए. दिल में बैठी हुई रम्भा बाहर निकल आई थी.

सालभर गुज़रने के बाद एक दिन इन्दिरा ने अपने पति से कहा. क्या रम्भा को बिलकुल भूल गए? कैसे बेवफ़ा हो! कुछ याद है, उसने चलते वक़्त तुमसे क्या बिनती की थी?

Similar questions