काकी कहानी का सार और परिचय लिखें
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काकी सियाराम शरण गुप्त के द्वारा लिखी गयी एक हृदय स्पर्शी कहानी है जो बाल मनोविज्ञान और बच्चों की मासूमियत को उजागर करती है । जीवन और मरण के रहस्य से अनभिज्ञ श्यामू समझ नहीं पाता कि उसकी मां उसको हमेशा के लिए छोड़ कर चली गयी है ।
श्यामू अपना काकी उमा मर जाने के बाद बहुत रोया था| आस-पास के बच्चो से पता चलता है की उसकी काकी भगवान राम के पास चली गयी थी|
पतंग को देकने के बाद उसके मन में ख्याल आता हैं की वो पतंग पर अपनी काकी के नाम लिखकर उड़ाना चाहता है और उसे राम के पास भेजना चाहता हैं| इस लिए वो अपने काका के पास जाकर पतंग मांगता है| दुखी विश्वेश्वर श्यामू को वचन देकर चला जाता है| इंतज़ार करने के बाद भी विश्वेश्वर पतंग ने मंगवाता| इस लिए श्यामू काका के जेब सो चोरी करके पतंग करीदता है| भोला के कहने से वो रस्सी के लिए फिर से चोरी करता है रस्सियां खरींडने के लिए| जब पतंग को उड़ने का भन्दोबस्त हो रहा है तो काका आकर भोला से पूछते हैं की किसने पैसे चुरिये करके| भोला सच्च बताता हैं| काका श्यामू को दो चमाट मरते हैं| जब भोला बताता है की वो पतंग के पास भेजने वाले थे तो काका फटी हुयी पतंग देखते है लिख हुआ शब्द ‘काकी’|
बच्चे चंचल स्वाभाव के होते हैं| वो सभी को प्यार करते हैं| उनके प्यार करने का तरीका थोड़ा अलग होता हैं| बड़े बिना पूरा परिस्तिति को जाने कुछ भी कदम उठाते हैं| यहाँ विश्वेस्वर ने भी ऐसा ही किया| श्यामू के भोलपन और मंतव्य को जाने बिना उस पर हाथ उठाया| इस कहानी में सियारामशरण गुपत बच्चों के चंचल स्वभाव को दर्शाया हैं|