'काकी' 'कहानियों का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
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【 ■ ■ ■ काकी ■ ■ ■ 】
काकी एक कहानी है जो सियारामशरण गुप्त जी द्वारा लिखी गई है । लेखक सियारामशरण गुप्त एक बहुत ही अच्छे कहानीकार एवं अपने समय के प्रसिद्ध साहित्यकार हैं ।
काकी नामक कहानी में एक छोटा बच्चा राम जब एक दिन सुबह सो कर उठता है तो देखता है । उसके घर के आंगन में बहुत भीड़ लगी हुई है । और उसकी मां जमीन पर लेटी हुई है , और सभी औरतें सभी घेर कर बहुत तेजी से रो रही हैं वह देखता है कि मा हर रोज सुबह उठकर काम करने लगती हैं , पर आज वह समय लेती है और सभी लोग रो रहे हैं वह कुछ समझ नहीं पाता ।
वह अपनी मां के पास जाना चाहता है पर वह जा नहीं पाता सब उसे कुछ लोग बताते हैं कि अब उसकी मा इस दुनिया में नहीं रही वह मर चुकी है । वह अपनी मां के पास जाकर लिपट कर रोना चाहता है । पर लोग उसे बहुत कसकर पकड़ लेते हैं जिससे वह छूटकर नहीं जा पाता उसका हृदय बहुत दुखी और तबियत हो जाता है इसी तरह जब रामू बड़ा होता है तो 1 दिन अपने दोस्त के साथ पतंग उड़ा रहा होता है उसने अपने दोस्तों के साथ समानता के जो लोग मर जाते हैं वह ऊपर भगवान के पास चले जाते हैं पतंग उड़ाते उड़ाते उसे उपाय सूझा ।
उसने अपने पिता के जेब से पैसे निकाल कर एक बड़ी पतंग ली और उस पर का किले करवा दिया पिता को उसके चोरी का पता चला तो भाई बहुत बहुत गुस्सा हुए उन्होंने उसे बहुत पीटा जब उनसे पूछा तो उनका हृदय भी छोटे बच्चे के मार्मिक सोच और विवेक हृदय के भाव से भर गया और उन्होंने रामू को गले लगा लिया ।
【 उपयुक्त कहानी में सियारामशरण गुप्त जी ने किसी छोटे बच्चे की बाल मनोवैज्ञानिक तथा का बड़ा ही मार्मिक वर्णन किया है इस कहानी से हमें कह सकते हैं कि प्रत्येक छोटा बच्चा का ह्रदय अत्यंत कोमल तथा स्वच्छ होता है । हम उसे चाहे जब ढांचे में डालें वह उसी ढांचे में ढल जाएगा । 】
काकी एक कहानी है जो सियारामशरण गुप्त जी द्वारा लिखी गई है । लेखक सियारामशरण गुप्त एक बहुत ही अच्छे कहानीकार एवं अपने समय के प्रसिद्ध साहित्यकार हैं ।
काकी नामक कहानी में एक छोटा बच्चा राम जब एक दिन सुबह सो कर उठता है तो देखता है । उसके घर के आंगन में बहुत भीड़ लगी हुई है । और उसकी मां जमीन पर लेटी हुई है , और सभी औरतें सभी घेर कर बहुत तेजी से रो रही हैं वह देखता है कि मा हर रोज सुबह उठकर काम करने लगती हैं , पर आज वह समय लेती है और सभी लोग रो रहे हैं वह कुछ समझ नहीं पाता ।
वह अपनी मां के पास जाना चाहता है पर वह जा नहीं पाता सब उसे कुछ लोग बताते हैं कि अब उसकी मा इस दुनिया में नहीं रही वह मर चुकी है । वह अपनी मां के पास जाकर लिपट कर रोना चाहता है । पर लोग उसे बहुत कसकर पकड़ लेते हैं जिससे वह छूटकर नहीं जा पाता उसका हृदय बहुत दुखी और तबियत हो जाता है इसी तरह जब रामू बड़ा होता है तो 1 दिन अपने दोस्त के साथ पतंग उड़ा रहा होता है उसने अपने दोस्तों के साथ समानता के जो लोग मर जाते हैं वह ऊपर भगवान के पास चले जाते हैं पतंग उड़ाते उड़ाते उसे उपाय सूझा ।
उसने अपने पिता के जेब से पैसे निकाल कर एक बड़ी पतंग ली और उस पर का किले करवा दिया पिता को उसके चोरी का पता चला तो भाई बहुत बहुत गुस्सा हुए उन्होंने उसे बहुत पीटा जब उनसे पूछा तो उनका हृदय भी छोटे बच्चे के मार्मिक सोच और विवेक हृदय के भाव से भर गया और उन्होंने रामू को गले लगा लिया ।
【 उपयुक्त कहानी में सियारामशरण गुप्त जी ने किसी छोटे बच्चे की बाल मनोवैज्ञानिक तथा का बड़ा ही मार्मिक वर्णन किया है इस कहानी से हमें कह सकते हैं कि प्रत्येक छोटा बच्चा का ह्रदय अत्यंत कोमल तथा स्वच्छ होता है । हम उसे चाहे जब ढांचे में डालें वह उसी ढांचे में ढल जाएगा । 】
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