Biology, asked by faizankhari, 4 months ago

कंकाल पेशी का विकास किससे होता है ?​

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Answered by GitaTatei
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. कंकाल पेशियाँ : ये पेशियां कंकाल की गति एवं चलन में सहायक होती है , ये कण्डराओ द्वारा अस्थियों से जुडी रहती है इन्हे रेखित या ऐच्छिक पेशियाँ भी कहते है , ये जल्दी थक जाती है।

पेशी से पेशी तंतु समान्तर व्यवस्थित होकर समूह बनाती है , ऐसे प्रत्येक समूह को पूलिका कहते है। पुलिका के चारो ओर संयोजी ऊत्तक का आवरण पाया जाता है इसे परिपेशिका कहते है। कंकाल पेशियाँ कोलेजन से बनी कण्डराओ द्वारा अस्थि से जुडी रहती है , पेशी तंतु लम्बी , बेलनाकार कोशिका होती है। इसका व्यास 10 माइक्रोमीटर से 100 माइक्रो मीटर तक होता है तथा लम्बाई कई सेंटीमीटर होती है। कोशिका में अनेक परिधीय केन्द्रक होते है इसकी प्लाज्मा झिल्ली को सार्कोलेमा तथा कोशिका द्रव्य को पेशी प्रद्रव्य कहते है। प्रत्येक पेशी तन्तु में अनेक पतले तंतु धागे के समान पेशी तन्तुक होते है। प्रत्येक पेशी तन्तुक का व्यास 1 माइक्रोमीटर होता है। पेशी तंतु में अनेक पतले तन्तु पुनरावर्ती क्रम में लंबवत व समान्तर व्यवस्थित रहते है , इनको सार्कोमियर कहते है। जो क्रियात्मक इकाई होती है , पेशी तंतुओ का निर्माण संकुचनशील प्रोटीन अणुओ द्वारा होता है।

ये प्रोटीन तन्तु दो प्रकार के होते है , मोटे तंतुओ को मायोसीन तन्तु तथा पतले तन्तुओं को एक्टिन तंतु कहते है।

एक पेशिक तन्तु में लगभग 1500 मायोसीन तंतु व 3000 एक्टिन तन्तु होते है , प्रत्येक मायोसीन तंतु 6 एक्टिन तन्तुओं के नियमित षट्कोणीय क्रम द्वारा घिरा रहता है।

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