कूकै लगीं कोइलैं कदंबन पै बैठि फेरि
धोए-धोए पात हिलि-हिलि सरसै लगे।
बोलै लगे दादुर मयूर लगे नाचै फेरि
देखि के सँजोगी-जन हिय हरसै लगे॥
हरी भई भूमि सीरी पवन चलन लागी
लखि 'हरिचंद' फेरि प्रान तरसै लगे।
फेरि झूमि-झूमि बरषा की रितु आई फेरि
बादर निगोरे झुकि झुकि बरसै लगे॥१॥
1 -भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा लिखित "प्रेम माधुरी" काव्य संग्रह से ली गयी प्रस्तुत पंक्तियों की प्रसंग सहित व्याख्या??
Answers
कूकै लगीं कोइलैं कदंबन पै बैठि फेरि
धोए-धोए पात हिलि-हिलि सरसै लगे।
बोलै लगे दादुर मयूर लगे नाचै फेरि
देखि के सँजोगी-जन हिय हरसै लगे॥
हरी भई भूमि सीरी पवन चलन लागी
लखि 'हरिचंद' फेरि प्रान तरसै लगे।
फेरि झूमि-झूमि बरषा की रितु आई फेरि
बादर निगोरे झुकि झुकि बरसै लगे॥१॥
संदर्भ ▬ यह पद्यांश ‘भारतेंदु हरिश्चंद्र’ द्वारा रचित “प्रेम माधुरी” माधुरी नामक काव्य ग्रंथ से लिये गए हैं। इन पद्यों के माध्यम से कवि ने वर्षा ऋतु के सौंदर्य का वर्णन किया है।
प्रसंग ▬ जब वर्षा ऋतु में प्रकृति अपने प्राकृतिक सौंदर्य से सराबोर हो जाती है, चारों तरफ मनोरम और मनोहारी दृश्य उत्पन्न हो जाते हैं, कवि ने उस दृश्य का वर्णन किया है।
व्याख्या ▬ क्या कवि कहता है कि जब वर्षा ऋतु का आगमन होता है, तो कोयलें कदंब के वृक्ष पर बैठकर अपने मधुर स्वर में कूकने लगती हैं। वर्षा के जल से पूरी तरह धुल कर स्वच्छ हो गये वृक्षों के पत्ते चमक उठते हैं और मंद मंद वायु में हिलते हुए शोभायमान प्रतीत होते हैं। मेंढकों की टर्र-टर्र वातावरण में गुंजायमान हो जाती है और मोर के मनभावन नृत्य सुखदायी प्रतीत होते हैं। जो लोग अपने प्रियजनों के पास हैं, वे इस मनमोहक वर्षा ऋतु के दृश्यों को देखकर प्रसन्न चित्त होने लगते हैं। चारों तरफ भूमि हरियाली से आच्छादित हो जाती है। मंद-मंद शीतल वायु प्रवाहित होने लगती है। ऐसे में भगवान कवि के प्राण फिर प्रभु मिलन के लिए तड़पने लगते है। झूमते-लहराते हुए बादलों के साथ यह वर्षा ऋतु फिर आ गई है और यह निगोड़े बादल झुक-झुक कर धरती पर बरसने लगे हैं।
काव्य सौंदर्य ▬ कवि ने वर्षा के मनोहारी दृश्यों को अपनी कल्पना के माध्यम से शब्दों में उतारा है। काव्य की भाषा में एक सतत् प्रवाह है। काव्य की शैली वर्णानत्म और चित्रात्मक है। अनुप्रास व पुनरुक्ति अलंकारों का सुंदर प्रयोग किया गया है।
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Answer:
iska ye hi answer hai mujhe to lag ni raha hai iska ye answer ho sakta hai