काकोरी कांड' में सरकारी खजाना लूटा गया था। आजकल भी बैंक लूट लेने की घटनाएं होती रहती हैं। दोनों प्रकार की लूटों के उद्देश्य पर चर्चा करते हुए उनका तुलनात्मक अध्ययन कीजिए और अपने विचार एक अनुच्छेद के रूप में प्रस्तुत कीजिए।
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काकोरी कांड' में सरकारी खजाना लूटा गया था। आजकल भी बैंक लूट लेने की घटनाएं होती रहती हैं। दोनों प्रकार की लूटों के उद्देश्य पर चर्चा करते हुए उनका तुलनात्मक अध्ययन कीजिए और अपने विचार एक अनुच्छेद के रूप में प्रस्तुत कीजिए।
अगस्त 1927 को हुए काकोरी कांड के लिए ब्रिटिश सरकार ने राम प्रसाद ‘बिस्मिल’, अशफ़ाक उल्ला ख़ान और राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी के साथ-साथ ठाकुर रोशन सिंह को भी फाँसी की सज़ा सुनाई। हालांकि, इतिहासकारों की माने तो ठाकुर रोशन सिंह इस ट्रेन डकैती का हिस्सा ही नहीं थे।
ठाकुर रोशन सिंह का जन्म शाहजहाँपुर, उत्तर-प्रदेश के खेड़ा नवादा गाँव में 22 जनवरी, 1892 को एक किसान परिवार में हुआ था। इनकी माँ का नाम कौशल्या देवी एवं पिता का नाम ठाकुर जंगी सिंह था। बचपन से ही साहसी रहे रोशन सिंह में देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी।
साल 1921 के असहयोग आन्दोलन में भाग लेने के चलते रोशन सिंह को भी ब्रिटिश पुलिस ने जेल में डाल दिया था। कारावास के दौरान ही उनका परिचय मेरठ के एक क्रांतिकारी विष्णुशरण दुबलिश से हुआ। धीरे-धीरे उनमें मित्रता बढ़ गयी और रोशन सिंह भी विष्णु के क्रांतिकारी विचारों से प्रभावित होने लगे।
उन्हीं के माध्यम से रोशन बाकी क्रांतिकारियों के सम्पर्क में आये और बिस्मिल के साथ उनकी दोस्ती हर दिन गहरी होती गयी। अपने साथियों के साथ मिलकर रोशन सिंह ने कई क्रांतिकारी गतिविधियों को अंजाम दिया। ब्रिटिश पुलिस उनसे तंग आ चुकी थी। उन्हें पकड़ने के नए बहाने ढूंढे जाने लगे ताकि उन्हें लम्बे समय के लिए कारावास में डाला जा सके।
और फिर काकोरी कांड के लिए ठाकुर रोशन सिंह की भी गिरफ्तारी हुई।