(क) काव्यांश का मूलभाव स्पष्ट कीजिए। |
(ख) ‘वीरों के वंशज’ किसे कहा गया है?
(ग) ‘तुम तो हे प्रिय बंधु! स्वर्ग-सी’ में कौन-सा अलंकार है?
(घ) काव्यांश के आधार पर भारतभूमि की विशेषता लिखिए।
(ङ) ‘विषुवत रेखा का वासी’ और ध्रुववासी अपनी मातृभूमि के प्रति किस तरह लगाव प्रकट करते हैं ?
Answers
(क) काव्यांश का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : काव्यांश का मूलभाव वातावरण की सुंदरता देखकर प्रसन्न होना और इस सुंदरता के लिए प्रभु को याद करना।
(ख) ‘वीरों के वंशज’ किसे कहा गया है?
उत्तर : वीरों के वंशज’ भारतीयों को कहा गया है।
(ग) ‘तुम तो हे प्रिय बंधु! स्वर्ग-सी’ में कौन-सा अलंकार है?
उत्तर : तुम तो हे प्रिय बंधु! स्वर्ग-सी में उपमा अलंकार है।
उपमा अलंकार में किसी वस्तु की तुलना किसी प्रसिद्ध वस्तु से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है, या जहाँ दो वस्तुओं में समानता का भाव व्यक्त किया जाता है। जब किन्हीं दो वस्तुओं के गुण, आकृति, स्वभाव आदि में समानता दिखाई जाए या दो भिन्न वस्तुओं कि तुलना कि जाए, तब वहां उपमा अलंकार होता है।
(घ) काव्यांश के आधार पर भारतभूमि की विशेषता लिखिए।
उत्तर : भारतभूमि स्वर्ग के समान सुंदर तथा सभी सुखों का भंडार है। यह धरा की शिरोमणि है। इस पर जन्म लेने वालों का जीवन धन्य हो जाता है।
(ङ) ‘विषुवत रेखा का वासी’ और ध्रुववासी अपनी मातृभूमि के प्रति किस तरह लगाव प्रकट करते हैं ?
उत्तर : विषुवत रेखा पर रहने वाले वहाँ पड़ने वाली भयंकर गर्मी के कारण हाँफ-हाँफकर जीते हैं और ध्रुववासी बरफ़ में काँप-काँप कर जीते हैं, पर वह भी मातृभूमि पर हँसते हुए जान दे देते हैं और मातृभूमि से लगाव प्रकट करते हैं।
काव्यांश का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
काव्यांश का मूलभाव है-भारतभूमि का गुणगान एवं मातृभूमि से लगाव रखते हुए स्वाभिमान से जीना।
प्रश्नः 2.
‘वीरों के वंशज’ किसे कहा गया है?
उत्तरः
‘वीरों के वंशज’ भारतीयों को कहा गया है।
प्रश्नः 3.
‘तुम तो हे प्रिय बंधु! स्वर्ग-सी’ में कौन-सा अलंकार है?
उत्तरः
तुम तो हे प्रिय बंधु! स्वर्ग-सी में उपमा अलंकार है।
प्रश्नः 4.
काव्यांश के आधार पर भारतभूमि की विशेषता लिखिए।
उत्तरः
भारतभूमि स्वर्ग के समान सुंदर तथा सभी सुखों का भंडार है। यह धरा की शिरोमणि है। इस पर जन्म लेने वालों का जीवन धन्य हो जाता है।
प्रश्नः 5.
‘विषुवत रेखा का वासी’ और ध्रुववासी अपनी मातृभूमि के प्रति किस तरह लगाव प्रकट करते हैं ?
उत्तरः
विषुवत रेखा पर रहने वाले वहाँ पड़ने वाली भयंकर गरमी के कारण हाँफ-हाँफकर जीते हैं और ध्रुववासी बरफ़ में काँप-काँप कर जीते हैं, पर वे भी मातृभूमि पर हँसते हुए जान दे देते हैं और मातृभूमि से लगाव प्रकट करते हैं।
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