कःकं वदति-मम गृहं प्रेषय
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सं
स्कृत के वे शब्द जो सर्वदा एक जैसे ही रहते हैं (जिनमें विभक्ति, वचन तथा
लिङ्ग के आधार पर कोई परवर्तन नहीं होता है।) उन्हें अव्यय कहते हैं—
सदृशंत्रिषुलिङ्गेष, सु र्वास च
ु विभक्तिष ।
ु
वचनेष च स ु र्वेषुयन्न व्येति तदव्ययम ।।
्
अव्यय अर्थ
अचिरम् शीघ्र ही
यावत् जब तक
तावत् तब तक
सहसा अचानक
श्व: आने वाला कल
ह्य: बीता हुआ कल
शनै: शनै: धीरे-धीरे
सम्प्रति/साम्प्रतम/अध ् ना/इ ु दानीम् इस समय
अत्र यहाँ
अत्यन्तम् बहु
त
अथ आरम्भ या इसके बाद
अलम नि ् षेधार्थक (योगे तती
ृ या वि.)
पर्याप्त, समर्थ (योगे चतर्ुथी
विभ्ाक्ति)
अद्य आज
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