(क) कबीर ने गुरु की महिमा किन शब्दों में व्यक्त की है?
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एक पलक बिसरै नहीं, जो गुण होय सरीर।।
कहने का तात्पर्य ये है कि शिष्य गुरु से कितनी भी दूर क्यों न हो, वह उनके बताए हुए मार्ग पर ही चलता है। सच्चा शिष्य वही है, जो गुरु के बताए हुए ज्ञान को कभी भूले नहीं। यदि गुरु में कोई कमी रहती है तो भी वही उनके गुणों को स्मरण करता रहे।
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