कॉकरोच के सिर का सचित्र वर्णन कीजिए।
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तिलचट्टा कीट वर्ग का एक सर्वाहारी, रात्रिचर प्राणी है जो अंधेरे में, गर्म स्थानों में, जैसे रसोई घर, गोदाम, अनाज और कागज के भंडारों में पाया जाता है। पंख से ढका हल्का लाल एवं भूरे रंग का इसका शरीर तीन भागों सिर, वक्ष और उदर में विभाजित रहता है। सिर में एक जोड़ी संयुक्त नेत्र पाया जाता है एवं एक जोड़ी संवेदी श्रृंगिकाएँ (एन्टिना) निकली रहती है जो भोजन ढूँढ़ने में सहायक होती हैं। वक्ष से दो जोड़ा पंख और तीन जोड़ी संधियुक्त टाँगें लगी रहती हैं जो इसके प्रचलन अंगों का कार्य करते हैं।[1] शरीर में श्वसन रंध्र पाये जाते हैं। उदर दस खंडों में विभक्त रहता है। छिपकली तथा बड़ी-बड़ी मकड़ियाँ इसके शत्रु हैं।
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तिलचट्टा कीट वर्ग का एक सर्वाहारी, रात्रिचर प्राणी है जो अंधेरे में, गर्म स्थानों में, जैसे रसोई घर, गोदाम, अनाज और कागज के भंडारों में पाया जाता है। पंख से ढका हल्का लाल एवं भूरे रंग का इसका शरीर तीन भागों सिर, वक्ष और उदर में विभाजित रहता है। सिर में एक जोड़ी संयुक्त नेत्र पाया जाता है एवं एक जोड़ी संवेदी श्रृंगिकाएँ (एन्टिना) निकली रहती है जो भोजन ढूँढ़ने में सहायक होती हैं। वक्ष से दो जोड़ा पंख और तीन जोड़ी संधियुक्त टाँगें लगी रहती हैं जो इसके प्रचलन अंगों का कार्य करते हैं।[1] शरीर में श्वसन रंध्र पाये जाते हैं। उदर दस खंडों में विभक्त रहता है। छिपकली तथा बड़ी-बड़ी मकड़ियाँ इसके शत्रु हैं।