Hindi, asked by master7860, 5 months ago

(क) "कर चले हम फ़िदा" कविता और "कारतूस" पाठ का मूल भाव एक ही
है। सिद्ध कीजिए।
how will you write it in paper​

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Answered by shishir303
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¿ "कर चले हम फ़िदा" कविता और "कारतूस" पाठ का मूल भाव एक ही  है। सिद्ध कीजिए।

✎...  ‘कर चले हम फिदा’ और ‘कारतूस’ पाठ का मूल भाव एक ही है, और यह मूल भाव है, देश भक्ति।

दोनों पाठ में देशभक्ति की भावना को कवि और लेखक ने अपने-अपने शब्दों के माध्यम से प्रकट किया है। जहाँ ‘कर चले हम फिदा’ कविता में देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों का बलिदान करने वाले सैनिक अपने साथी सैनिकों का आह्वान करते हुए कहते हैं कि मैंने तो अपने देश की रक्षा मैं अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। अब तुम्हें भी ऐसी कोई स्थिति आने पर संकोच नहीं करना चाहिए और देश की रक्षा के लिए प्राणों का बलिदान करने के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए। तब ही हम दुश्मन पर विजय पा सकते हैं, वहीं दूसरी तरफ ‘कारतूस’ पाठ में ‘वजीर अली’ अपने राज्य और अपने देश को अंग्रेजों के चंगुल से छुड़ाने के लिए दर-दर भटक रहा है। वह अंग्रेजों द्वारा कब्जा किए गए अपने अवध राज्य को वापस पाना चाहता है और वह अपने देश भारत से अंग्रेजों को निकाल देना चाहता है। उस में देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी है और वह अपने देश के स्वाभिमान और सम्मान के लिए अनेक कष्ट सहते हुए अंग्रेजों से संघर्ष कर रहा है रहा है, इस तरह दोनों पाठ का मूल भाव एक ही है, और वह देश भक्ति।  

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संबंधित कुछ अन्य प्रश्न —▼

देश की एकता और अखंडता बलिदान माँगती है। कर चले हम फ़िदा कविता के

आधार पर स्पष्ट कीजिए।

https://brainly.in/question/34415123

‘कारतूस’ पाठ के आधार पर वज़ीर अली की चारित्रिक विशेषताओं का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।

https://brainly.in/question/15033870  

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Answered by sukesh0321
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Answer:

दोनों रचनाओं में देश प्रेम दिखाया है | अपने देश की रक्षा के लिए लड़ने की हिम्मत और साहस दिखाई गई है |

कर चले हम फिदा" कविता,  यह कविता  कवि कैफ़ी आज़मी द्वारा लिखी गई है| कविता में कवि एक वीर सैनिक का अपने देशवासियों को दिए आखिरी सन्देश का वर्णन कर रहा है।

सैनिक कहते हैं कि हम तो देश के लिए बलिदान दे रहे हैं ,  परन्तु हमारे बाद यह  मैदान कभी सूना नहीं पड़ना चाहिए। इसमें हम जैसे नौजवान मातृभूमि की रक्षा की ख़ातिर शहीद होने के लिए निरंतर आगे आते रहने चाहिए। इस जंग को जीत कर ही हम जश्न मना पाएंगे। हम ऐसी जंग में जा रहे हैं, जहाँ कभी भी मृत्यु हमें गले लगा सकती है। अब अपने अंदर से मृत्यु का डर निकाल कर सिर पर कफ़न बाँधकर मौत से मिलने के लिए तैयार हो जाओ। अपने प्यारे वतन की रक्षा तुम्हें हर हाल में करनी है। इसलिए हौसले से डट कर लड़ो साथियों, ये मेरा वतन अब तुम सभी के हवाले है। मैं अपना वतन तुम्हारे हाथों में छोड़ कर जा रहा हूँ |

पाठ "कारतूस" में भी आज़ादी की कीमत पहचानने, उसकी रक्षा करने का संदेश दिया गया है।  पाठ "कारतूस" में एक  व्यक्ति वजीर अली पर आधारित है। इसमे वजीर अली के साहसी कारनामो का वर्णन किया गया है। उसने अग्रेजों के सामने कभी भी हार नहीं मानी | उसने अंग्रेजों को चालाकी से उन्हें घुमाता रहा | वह एक साहसी सिपाही था |

दोनों रचनाओं में देश प्रेम दिखाया है | अपने देश की रक्षा के लिए लड़ने की हिम्मत और साहस दिखाई गई है

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