क. कस्य कृपा मूकं वाचालं करोति?
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जिनकी कृपा से गूंगे बोलने लगते हैं, लंगड़े पहाड़ों को पार कर लेते हैं, उन परम आनंद स्वरुप श्रीमाधव की मैं वंदना करता हूँ॥ हे हरि! मूकं करोति वाचालं पंगुं लंघयते गिरिम्।
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