"काली बिल्ली" -में विशेषण शब्द कौन सा है?
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रिभाषा –
संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता (गुण, दोष, संख्या, रंग, आकार–प्रकार आदि) बताने वाले शब्दोँ को विशेषण कहते हैँ। जैसे– मोटा, पतला, कौन आदि।
उदाहरणार्थ–
• एक किलो चीनी लाओ।
• सफेद गाय कम दूध देती है।
• बच्चा होशियार है।
• कुछ लोग सो रहे हैँ।
• मेरी कक्षा मेँ बीस विद्यार्थी हैँ।
उपर्युक्त वाक्योँ मेँ एक किलो, सफेद, कम, होशियार, कुछ, बीस क्रमशः चीनी, गाय, दूध, बच्चे, लोग तथा विद्यार्थी की विशेषता बता रहे हैँ, अतः ये सभी विशेषण हैँ।
♦ विशेष्य और विशेषण –
जिस संज्ञा या सर्वनाम शब्द की विशेषता प्रकट की जाती है, उसे विशेष्य और जो विशेषता–सूचक शब्द होता है, उसे विशेषण कहते हैँ। विशेषण शब्द प्रायः विशेष्य से पहले आता है। जैसे –
• मुझे मीठे व्यंजन अच्छे लगते हैँ।
• काली बिल्ली को देखो।
• दो किलो दूध लाओ।
उपर्युक्त वाक्योँ मेँ क्रमशः ‘व्यंजन’, ‘बिल्ली’ और ‘चीनी’ विशेष्य तथा ‘मीठे’, ‘काली’ और ‘दो किलो’ शब्द विशेषण हैँ। कभी–कभी विशेषण शब्द विशेष्य के बाद भी प्रयुक्त होते हैँ। जैसे –
• यह छात्र बुद्धिमान है।
• ये फल बहुत मीठे हैँ।
• वह व्यक्ति योग्य है।
• रमेश ईमानदार है।
♦ प्रविशेषण –
जो विशेषण शब्द विशेषणोँ की भी विशेषता बतलाते है, उन्हेँ प्रविशेषण कहते हैँ।
उदाहरणार्थ –
• यह लड़का बहुत अच्छा है।
(‘बहुत’ प्रविशेषण)
• आप बड़े भोले हैँ।
(‘बड़े’ प्रविशेषण)
• मैँ पूर्ण स्वस्थ हूँ।
(‘पूर्ण’ प्रविशेषण)
• मोहनी अत्यन्त सुन्दरी है।
(‘अत्यन्त’ प्रविशेषण)
• घर बिल्कुल सुनसान था।
(‘बिल्कुल’ प्रविशेषण)
• आज बहुत अधिक सर्दी है।
(‘बहुत’ प्रविशेषण)
क्रिया–विशेषणोँ की विशेषता बताने वाले विशेषणोँ को भी ‘प्रविशेषण’ कहा जाता है। जैसे–
• गरिमा बहुत धीरे चलती है।
(‘बहुत’ क्रिया–प्रविशेषण)
• गावस्कर बिल्कुल धीरे खेलता था।
(‘बिल्कुल’ क्रिया–प्रविशेषण)
• मैँ ठीक सात बजे आऊँगा।
(‘ठीक’ क्रिया–प्रविशेषण)
• मैँ बहुत अधिक तेज नहीँ चल सकता।
(‘बहुत अधिक’ क्रिया–प्रविशेषण)।
♦ उद्देश्य विशेषण और विधेय विशेषण –
वाक्य मेँ विशेषण की स्थिति दो प्रकार की होती है– विशेष्य से पहले तथा विशेष्य के बाद। इस स्थिति के आधार पर विशेषण दो प्रकार के होते हैँ–
(1) उद्देश्य विशेषण – विशेष्य से पहले आने वाले विशेषण उद्देश्य–विशेषण या विशेष्य–विशेषण कहलाते हैँ। स्थिति की दृष्टि से ये विशेषण वाक्य के उद्देश्य–भाग के अन्तर्गत आते है। जैसे –
• चतुर बालक अपना काम कर लेते हैँ।
• भला बालक है, मदद कर दीजिए।
• बुद्धिमान आदमी सर्वत्र पूजा जाता है।
(2) विधेय विशेषण – विशेष्य के बाद आने वाले विशेषण को ‘विधेय–विशेषण’ कहते हैँ। ये विशेषण क्रिया से पहले और वाक्य के विधेय–भाग के अन्तर्गत आते हैं। जैसे –
• वह बालक चतुर है।
• सुनिता बहुत अच्छा गाती है।
• उसकी पेन्ट नीली है।
• रेखा घर की शोभा बढ़ाती है।
ध्यातव्य – विशेषण चाहे, ‘उद्देश्य–विशेषण’ हो, चाहे ‘विधेय–विशेषण’, दोनोँ ही स्थितियोँ मेँ उनका रूप संज्ञा या सर्वनाम के अनुसार बदलता है। उदाहरणार्थ –
उद्देश्य विशेषणोँ के रूप–
• लंबी युवती खेल रही है।
(विशेषण और विशेष्य दोनोँ स्त्री एकवचन)
• लंबी युवतियाँ खेल रही हैँ।
(स्त्रीलिँग, विशेषण अपरिवर्तित रहता है)
• लंबा लड़का जा रहा है।
(विशेषण–विशेष्य दोनोँ पुरुष एकवचन)
• लंबे लड़के जा रहे हैँ।
(विशेषण–विशेष्य दोनोँ पुरुष बहुवचन)
Explanation:
Answer:
"काली बिल्ली" में विशेषण शब्द काली है|
Explanation:
संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों की विशेषता (गुण, दोष, संख्या, परिमाण आदि) बताने वाले शब्द विशेषण कहलाते हैं। जैसे बड़ा, काला, लंबा, दयालु, भारी, सुन्दर, कायर, टेढ़ा-मेढ़ा, एक, दो आदि।
जिस संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्द की विशेषता बताई जाए वह विशेष्य कहलाता है। जैसे -गीता सुन्दर है। इसमें सुन्दर - विशेषण है और गीता विशेष्य है।
विशेषण के 4 प्रकार हैं-
1. गुणवाचक विशेषण- जिस शब्द से संज्ञा या सर्वनाम के गुण, रूप, रंग आदि का बोध होता है, उसे गुण वाचक विशेषण कहते हैं। जैसे
• बगीचे में सुंदर फूल हैं।
• धरमपुर स्वच्छ नगर है।
2. संख्यावाचक विशेषण - जिस विशेषण से संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का बोध होता है, उसे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। जैसे
• कक्षा में चालीस विद्यार्थी उपस्थित हैं।
• दोनों भाइयों में बड़ा प्रेम हैं।
3. परिमाणवाचक विशेषण - जिस विशेषण से किसी वस्तु की नाप-तौल का बोध होता है, उसे परिमाण बोधक विशेषण कहते हैं। जैसे
• मझे दो मीटर कपड़ा दो ।
• उसे एक किलो चीनी चाहिए।
4. सार्वनामिक विशेषण- जब कोई सर्वनाम शब्द संज्ञा शब्द से पहले आए तथा वह विशेषण शब्द की तरह संज्ञा की विशेषता बताये, उसे सार्वनामिक विशेषण कहते हैं। जैसे
• वह आदमी व्यवहार से कुशल है।
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