के लोगों में ही
5.
त ह कि कोई ऐसा मित्र मिले जिसमें वे गुण हों। चिन्ताशील मनुष्य प्रफुल्लित चित्त का साथ ढूंढता है
लाग एक-दूसरे की ओर आकर्षित होते हैं। जो गुण हममें नहीं,
बली का, धीर उत्साही का। उच्च आकांक्षावाला चन्द्रगुप्त युक्ति और उपाय के लिए चाणक्य का मुँह
नीति-विशारद अकबर मन बहलाने के लिए बीरबल की ओर देखता था।
प्रश्न-(क) गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ख) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(ग) व्यक्ति अपने से भिन्न गुण वाले व्यक्ति का साथ क्यों ढूँढता है?
(घ) किन-किन लोगों में भिन्न-भिन्न प्रकृति के होने पर भी बराबर प्रीति और मित्रता रही?
“विश्वासपात्र मित्र से बड़ी रक्षा रहती है। जिसे ऐसा मित्र मिल जाय उसे समझना चाहिए कि खजाना मिल
विश्वासपात्र मित्र जीवन की एक औषध है। हमें अपने मित्रों से यह आशा रखनी चाहिए कि वे उत्तम संकन
हमें दृढ़ करेंगे, दोषों और त्रुटियों से हमें बचाएँगे, हमारे सत्य, पवित्रता और मर्यादा के प्रेम को पुष्ट करेंगे, क
कुमार्ग पर पैर रखेंगे, तब वे हमें सचेत करेंगे, जब हम हतोत्साहित होंगे, तब हमें उत्साहित करेंगे। सारांश यह
वे हमें उत्तमतापूर्वक जीवन-निर्वाह करने में हर तरह से सहायता देंगे। सच्ची मित्रता में उत्तम-से-उत्तम वैद्य का
निपुणता और परख होती है, अच्छी-से-अच्छी माता का-सा धैर्य और कोमलता होती है। ऐसी ही मित्रता कार
(2009, 11.
प्रयत्न प्रत्येक पुरुष को करना चाहिए।
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