केले को बेर की कुसंगति के कारण पीड़ा क्यों भोगनी पड़ी
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प्रसंग - कुसगति मे पड्कर मानव कि ववी गति होती है, जो बेर के पास वाले केले के वृक्ष कि हुई। भावार्थ - आत्मा परमात्मा से कह रही है, कि मैं कुसंगति की मार से मृतप्राय हुई जा रही हूँ। केले के वृक्ष के समीप बेर का काटे से पूएां वृक्ष है और वह अपनी कटुता के कारण प्रेम से अपनी ओर आने वाले वृक्ष को चीरता जा रहा है।
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