कालिका सी किलकि कलेऊ देती काल को alankar
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Anupraas alankar...
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इन पंक्तियों में अनुप्रास अलंकार है |
इन पंक्तियों का अर्थ है :- शिवजी जी की तलवार किलकारी भरती हुई महाकाली के समान शत्रुओं को मार काटकर महाकाल यमराज को भोग लगाने के लिए प्रस्तुत कर देती है | अर्थात शिवजी जी तलवार से बचना असंभव है |
अनुप्रास अलंकार की परिभाषा
जब किसी काव्य को सुंदर बनाने के लिए किसी वर्ण की बार-बार आवृति हो तो वह अनुप्रास अलंकार कहलाता है। किसी विशेष वर्ण की आवृति से वाक्य सुनने में सुंदर लगता है। ‘क’ वर्ण की आवृति हो रही है। यह आवृति वाक्य का सौंदर्य बढ़ा रही है। अतः यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आएगा।
अलंकार की परिभाषा :-
आभूषण या श्रंगार चांदी के आभूषण अर्थात सौंदर्यवर्धक गुण अलंकार कहलाते हैं | अलंकार स्वयं सौंदर्य नहीं होते, वे काव्य के सौंदर्य को बढ़ाने वाले सहायक तत्व होते हैं | अलंकारों के योग से काव्य मनोहारी बन जाता है |
अलंकार के तीन प्रकार :- 1.शब्दालंकार 2.अर्थालंकार 3.उभयालंकार