काल किसे कहते हैं उसके कितने भेद हैं
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काल के तीन भेद है। क्रिया के जिस रूप से बीते हुए समय का बोध होता है, उसे भूतकाल कहते है। भूतकाल को पहचानने के लिए वाक्य के अन्त में 'था, थे, थी' आदि आते हैं। क्रिया के जिस रूप से बीते हुए समय का ज्ञान न हो, उसे सामान्य भूतकाल कहते हैं।
जैसे-
(1)बच्चे खेल रहे हैं। मैडम पढ़ा रही हैं।
(2)बच्चे खेल रहे थे। मैडम पढ़ा रही थी।
(3)बच्चे खेलेंगे। मैडम पढ़ायेंगी।
काल के भेद - काल के तीन भेद होते है-
(क) वर्तमान काल- जो समय चल रहा है।
(ख) जो समय बीत चुका है।
(ग) जो समय आने वाला है।
(1) वर्तमान काल - क्रिया के जिस रूप से वर्तमान में चल रहे समय का बोध होता है, उसे वर्तमान काल कहते है।
जैसे- पिता जी समाचार सुन रहे हैं।
पुजारी पूजा कर रहा है।
प्रियंका स्कूल जाती हैं।
उपर्युक्त वाक्यों में क्रिया के वर्तमान समय में होने का पता चल रहा है। अतः ये सभी क्रियाएँ वर्तमान काल की क्रियाएँ हैं। वर्तमान कल की पहचान के लिए वाक्य के अन्त में 'ता, ती, ते, है, हैं' आदि आते है।
वर्तमान काल के भेद -
वर्तमान काल के पाँच भेद होते है-
(I) सामान्य वर्तमान काल (ii) अपूर्ण वर्तमान काल
(iii) पूर्ण वर्तमान काल (iv) संदिग्ध वर्तमान काल (v) तात्कालिक वर्तमान काल (vi) संभाव्य वर्तमान काल
(i)सामान्य वर्तमानकाल-क्रिया का वह रूप जिससे क्रिया का वर्तमानकाल में होना पाया जाय, 'सामान्य वर्तमानकाल' कहलाता है। अर्थात, जो क्रिया वर्तमान में सामान्य रूप से होती है, वह सामान्य वर्तमान काल की क्रिया कहलाती है।
क्रिया के जिस रूप से सामान्यतः यह प्रकट हो कि कार्य का समय वर्तमान में है, न कार्य के अपूर्ण होने का संकेत मिले न संदेह का, वहाँ सामान्य वर्तमान होता है।
जैसे- 'बच्चा खिलौनों से खेलता है'।
वाक्य में 'खेलना' प्रस्तुत समय में है, किन्तु न तो वह अपूर्ण है और न ही अनिश्चित, अतः यहाँ सामान्य वर्तमान काल है।
कुछ अन्य उदाहरण देखिए-
वह पुस्तक पढ़ता है।
माली पौधों को पानी देता है।
(ii)अपूर्ण वर्तमानकाल- क्रिया के जिस रूप से यह बोध हो कि वर्तमान काल में कार्य अभी पूर्ण नहीं हुआ, वह चल रहा है, उसे अपूर्ण वर्तमान कहते हैं।
उदाहरण के लिए- 'मोहन विद्यालय जा रहा है'
वाक्य में जाने का कार्य अभी हो रहा है, मोहन विद्यालय पहुँचा नहीं है। अतः यहाँ अपूर्ण वर्तमान है।
कुछ अन्य उदाहरण देखिए-
वर्षा हो रही है। अनुराग लिख रहा है।
(iii)पूर्ण वर्तमानकाल- इससे वर्तमानकाल में कार्य की पूर्ण सिद्धि का बोध होता है। जैसे- वह आया है। सीता ने पुस्तक पढ़ी है।
(iv)संदिग्ध वर्तमानकाल- जिससे क्रिया के होने में सन्देह प्रकट हो, पर उसकी वर्तमानकाल में सन्देह न हो। उसे संदिग्ध वर्तमानकाल कहते हैं।अर्थात, जिस क्रिया के वर्तमान समय में पूर्ण होने में संदेह हो, उसे संदिग्ध वर्तमानकाल कहते हैं। जैसे- 'माँ खाना बना रही होगी। वाक्य में 'रही होगी' से खाना बनाने के कार्य को निश्चित रूप से नहीं कहा गया, उसमें संदेह की स्थिति बनी हुई है, अतः यहाँ संदिग्ध वर्तमान है।
(v)तत्कालिक वर्तमानकाल:- क्रिया के जिस रूप से यह पता चलता है कि कार्य वर्तमानकाल में हो रही है उसे तात्कालिक वर्तमानकाल कहते हैं। जैसे- मै पढ़ रहा हूँ। वह जा रहा है।
(vi)सम्भाव्य वर्तमानकाल :- इससे वर्तमानकाल में काम के पूरा होने की सम्भवना रहती है। उसे सम्भाव्य वर्तमानकाल कहते हैं।
संभाव्य का अर्थ होता है संभावित या जिसके होने की संभावना हो।
जैसे- वह आया है। वह लौटा हो। वह चलता हो। उसने खाया हो।
(2) भूतकाल :- क्रिया के जिस रूप से बीते हुए समय का बोध होता है, उसे भूतकाल कहते है।
सरल शब्दों में- जिससे क्रिया से कार्य की समाप्ति का बोध हो, उसे भूतकाल की क्रिया कहते हैं।
जैसे- वह खा चुका था; राम ने अपना पाठ याद किया; मैंने पुस्तक पढ़ ली थी।
उपर्युक्त सभी वाक्य बीते हुए समय में क्रिया के होने का बोध करा रहे हैं। अतः ये भूतकाल के वाक्य है।
भूतकाल को पहचानने के लिए वाक्य के अन्त में 'था, थे, थी' आदि आते हैं।
भूतकाल के भेद
भूतकाल के छह भेद होते है-
(i) सामान्य भूतकाल
(ii) आसन्नभूतकाल
(iii) पूर्ण भूतकाल
(iv) अपूर्ण भूतकाल
(v) संदिग्ध भूतकाल
(vi) हेतुहेतुमद् भूत
(i)सामान्य भूतकाल- जिससे भूतकाल की क्रिया के विशेष समय का ज्ञान न हो, उसे सामान्य भूतकाल कहते हैं। अर्थात, क्रिया के जिस रूप से काम के सामान्य रूप से बीते समय में पूरा होने का बोध हो, उसे सामान्य भूतकाल कहते हैं।
जैसे- मोहन आया।
सीता गयी।
(ii)आसन्न भूतकाल-क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि क्रिया अभी कुछ समय पहले ही पूर्ण हुई है, उसे आसन्न भूतकाल कहते हैं।
इससे क्रिया की समाप्ति निकट भूत में या तत्काल ही सूचित होती है।
जैसे- मैने आम खाया हैं।
मैं अभी सोकर उठी हूँ।
अध्यापिका पढ़ाकर आई हैं।
उपर्युक्त वाक्यों की क्रियाएँ अभी-अभी पूर्ण हुई हैं। इसलिए ये आसन्न भूतकाल की क्रियाएँ हैं।
(iii)पूर्ण भूतकाल- क्रिया के उस रूप को पूर्ण भूत कहते है, जिससे क्रिया की समाप्ति के समय का स्पष्ट बोध होता है कि क्रिया को समाप्त हुए काफी समय बीता है। अर्थात, क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि कार्य पहले ही पूरा हो चुका है, उसे पूर्ण भूतकाल कहते हैं।
पूर्ण भूतकाल में क्रिया के साथ 'था, थी, थे, चुका था, चुकी थी, चुके थे आदि लगता है।
(iv)अपूर्ण भूतकाल- जिस क्रिया से यह ज्ञात हो कि भूतकाल में कार्य सम्पन्न नहीं हुआ था - अभी चल रहा था, उसे अपूर्ण भूत कहते हैं।
जैसे- सुरेश गीत गा रहा था।
रीता सो रही थी।
उपर्युक्त वाक्यों में क्रियाएँ से कार्य के अतीत में आरंभ होकर, अभी पूरा न होने का पता चल रहा है। अतः ये अपूर्ण भूतकाल की क्रियाएँ हैं।