Hindi, asked by AishwaryaGupta2009, 1 month ago

"काल करे सो आज करे , आज करे सो अब।" इस कथन के आधार पर एक कहानी लिखे।​

Answers

Answered by shantipathak615
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Answer:

एक सिपाही बहुत बलवान था, बहुत बहादुर था और बहुत लड़ने वाला था।

उसका घोडा भी वैसा ही बलवान, बहादुर और लड़ने का हौसला रखने वाला था।

एक दिन सिपाही अपने लड़ने घोड़े पर बैठकर किसी पहाड़ी रास्ते से जा रहा था। अचानक घोड़े का पैर पत्थर से टकराया और उसकी नाल निकल गई।

नाल निकल जाने से घोडा को बहुत कष्ट हुआ और वह लंगड़ाकर चलने लगा।

सिपाही ने घोड़े का कष्ट तो समझ ही लिया परन्तु उसकी विशेष चिंता नहीं की।

बस वह उसी सोच में डूबा रहा।

नाल बंधवा देगा। इस प्रकार आज-काल के चक्कर में दिन निकलते गए और घोड़े का कष्ट दूर न हुआ।

अचानक देश पर शत्रुओं ने आक्रमण कर दिया। राजा की ओर से सिपाही को आज्ञा मिली। बस! चल फ़ौरन पर।

अब सिपाही क्या करता। इतना समय ही कहाँ था की जो घोड़े के पैर में नाल बंधवा पाता।

परन्तु लड़ाई पर तो जाना ही था इसलिए वह उसी लंगड़ाते हुए घोड़े पर बैठा और दूसरे सिपाहियों के साथ चल पड़ा।

दुर्भाग्यवश घोड़े के दूसरे पैर से भी नाल निकल गई।

पहले वह तीन पैर से कुछ चल भी लेता था। परन्तु अब तो पैर क्या करता।

किस तरह आगे बढ़ता। देखते-देखते शत्रु सामने आ पहुंचे।

वे संख्या में इतने अधिक थे कि उनके सामने सिपाही के साथ ठहर भी न सके। वे फ़ौरन अपने-अपने घोड़े दौड़ाकर लड़ाई के मैदान से भाग निकले।

परन्तु वह सिपाही कैसे भागता। उनका लंगड़ा घोडा जहाँ का तहाँ खड़ा रह गया।

सिपाही ने दुःख से हाथ मलते हुए कहा यदि मैं आज-कल के चक्कर में न पड़ा रहता और उसी दिन अपने घोड़े के पैरों में नई नाल बंधवा देता तो आज इस विपात्त में क्यों फंसता।

Answered by ROTLODHAKING17
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Answer:

एक सिपाही बहुत बलवान था, बहुत बहादुर था और बहुत लड़ने वाला था।

उसका घोडा भी वैसा ही बलवान, बहादुर और लड़ने का हौसला रखने वाला था।

एक दिन सिपाही अपने लड़ने घोड़े पर बैठकर किसी पहाड़ी रास्ते से जा रहा था। अचानक घोड़े का पैर पत्थर से टकराया और उसकी नाल निकल गई।

नाल निकल जाने से घोडा को बहुत कष्ट हुआ और वह लंगड़ाकर चलने लगा।

सिपाही ने घोड़े का कष्ट तो समझ ही लिया परन्तु उसकी विशेष चिंता नहीं की।

बस वह उसी सोच में डूबा रहा।

नाल बंधवा देगा। इस प्रकार आज-काल के चक्कर में दिन निकलते गए और घोड़े का कष्ट दूर न हुआ।

अचानक देश पर शत्रुओं ने आक्रमण कर दिया। राजा की ओर से सिपाही को आज्ञा मिली। बस! चल फ़ौरन पर।

अब सिपाही क्या करता। इतना समय ही कहाँ था की जो घोड़े के पैर में नाल बंधवा पाता।

परन्तु लड़ाई पर तो जाना ही था इसलिए वह उसी लंगड़ाते हुए घोड़े पर बैठा और दूसरे सिपाहियों के साथ चल पड़ा।

दुर्भाग्यवश घोड़े के दूसरे पैर से भी नाल निकल गई।

पहले वह तीन पैर से कुछ चल भी लेता था। परन्तु अब तो पैर क्या करता।

किस तरह आगे बढ़ता। देखते-देखते शत्रु सामने आ पहुंचे।

वे संख्या में इतने अधिक थे कि उनके सामने सिपाही के साथ ठहर भी न सके। वे फ़ौरन अपने-अपने घोड़े दौड़ाकर लड़ाई के मैदान से भाग निकले।

परन्तु वह सिपाही कैसे भागता। उनका लंगड़ा घोडा जहाँ का तहाँ खड़ा रह गया।

सिपाही ने दुःख से हाथ मलते हुए कहा यदि मैं आज-कल के चक्कर में न पड़ा रहता और उसी दिन अपने घोड़े के पैरों में नई नाल बंधवा देता तो आज इस विपात्त में क्यों फंसता।

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Explanation:

I hope it's help you

Mark me as brilliant

xx_smarty_manish_kumar_xx

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