कुल्लू का दशहरा किसके मिलन का परिचायक है?
Makrand Class 8.
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भगवान रघुनाथजी के सम्मान में ही राजा जगत सिंह ने वर्ष 1660 में राजा ने सेवक बनकर कुल्लू में दशहरे की परंपरा को आरंभ किया था इसके बाद निरंतर आज तक इसका निर्वहन किया जाता है। भगवान रघुनाथ के आगमन से ही अंतरराष्ट्रीय पर्व की शुरूआत होती है। कुल्लू के 365 देवी-देवता भगवान रघुनाथ जी को अपना ईष्ट मानते हैं।
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देवी-देवताओं का महाकुंभ अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा भगवान रघुनाथ की रथयात्रा के साथ शुक्रवार को ढालपुर मैदान में शुरू हो गया। कोरोना महामारी के खौफ को दरकिनार कर दशहरे में इस बार आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। दो साल बाद दशहरे में देव मानस मिलन का अनूठा नजारा देखने को मिला। सैकड़ों लोगों ने भगवान रघुनाथ का रथ खींचकर पुण्य कमाया। कुल्लू दशहरा में इस बार 200 से अधिक देवी-देवता शामिल हुए हैं।
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