क्लास नाइंथ जीवन नहीं मरा करता है चैप्टर का अर्थ संदर्भ प्रसंग
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प्रेम गीतों में गोपालदास नीरज के शब्दों ने साहित्य को गजब की रुमानियत दी है। नीरज ने लरजते होठों से मोहब्बत का मुकाम अपनी रचनाओं में जो हासिल किया है वह लाजवाब है। प्रेम को गर्व का मानक देने वाले नीरज की इस कविता में आशा का दीपक जल रहा हैं। अाप भी पढ़िए।
छिप छिप अंश्रु बहाने वालों,
मोती व्यर्थ लुटाने वालों
कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है।
सपना क्या है, नयन सेज पर
सोया हुया आंख का पानी
और टूटना है उसको ज्यों
जागे कच्ची नींद जवानी
गीली उमर बनाने वालों, डूबे बिना नहाने वालों
कुछ पानी के बह जाने से सावन नहीं मरा करता है।
माला विखर गई तो क्या है,
खुद ही हल हो गयी समस्या
आंसू गर नीलाम हुये तो
समझो पूरी हुई तपस्या
रूठे दिवस मनाने वालों, फटी कमीज सिलाने वाले
कुछ दीपक के वुझ जाने से आंगन नहीं मरा करता है।
खोता कुछ भी नहीं यहां पर
केवल जिल्द बदलती पोथी
जैसे रात उतार चॉदनी
पहने सुबह धूप की धोती
वस्त्र बदलकर आने वाले, चाल बदलकर जाने वालों
चंद खिलौनों के खोने से बचपन नहीं मरा करता है।
लाखों बार गगरिया फूटी
शिकन न आयी पर पनघट पर
लाखों वार किश्तियां डूबीं
चहल पहल वो ही है घाट पर
तम की उमर बढ़ाने वालों लौ की उमर घटाने वालों
लाख करे पतझड़ कोशिश पर उपवन नहीं मरा करता है।
लूट लिया माली ने उपवन
लूटी न लेकिन गन्ध फूल की
तूफानों तक ने छेड़ा पर
खिड़की बन्द न हुई धूल की
नफरत गले लगाने वालों, सब पर धूल उड़ाने वालों
कुछ मुखड़ों की नाराजी से दर्पण नहीं मरा करता है।
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- PLZ MARK ME AS BRAINLIST
Explanation:
छिप छिप अश्रु बहाने बहाने वालों मोती व्यर्थ लुटाने वालों कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता