Hindi, asked by leenasharma1551, 8 months ago

क्लास ट्वेल्थ हिंदी उषा पाठ के उत्तर​

Answers

Answered by hsoni4528
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Explanation:

1)कविता के किन उपमानों को देखकर यह कहा जा सकता है कि ‘उषा’ कविता गाँव की सुबह का गतिशील शब्द-चित्र है।

[CBSE (Outside), 2011 (C); (Delhi), 2009]

अथवा

‘उषा’ कविता गाँव की सुबह का गतिशील शब्द-चित्र है-सोदाहरण प्रतिपादित कीजिए। [CBSE (Delhi de Foreign), 2014]

उत्तर-

कवि के नीले शंख, राख से लीपा हुआ गीला चौका, सिल, स्लेट, नीला जल और गोरी युवती की मखमली देह आदि उपमानों को देखकर यह कहा जा सकता है कि उषा कविता गाँव की सुबह का गतिशील शब्द चित्र है। इन्हीं उपमानों के माध्यम से कवि ने सूर्योदय का गतिशील वर्णन किया है। ये उपमान भी कविता को गति प्रदान करते हैं।

2.

भोर का नभ

राख से लीपा हुआ चौका

(अभी गीला पड़ा है)

नयी कविता में कोष्ठक, विराम-चिह्नों और पंक्तियों के बीच का स्थान भी कविता को अर्थ देता हैं। उपर्युक्त पंक्तियों में कोष्टकों से कविता में विशेष अर्थ पैदा हुआ है ? समझाइय।

उत्तर-

नयी कविता के कवियों ने नए-नए प्रयोगों से स्वयं को अलग दिखाना चाहा है। शमशेर बहादुर सिंह ने कोष्ठकों का प्रयोग किया है। कोष्ठकों में दी गई सामग्री मुख्य सामग्री से संबंधित है तथा पूरक का काम करती है। वह कथन को स्पष्टता प्रदान करती है। यहाँ (अभी गीला पड़ा है) वाक्य कोष्ठकों में दिया गया है जो प्रात:कालीन सुबह की नमी व ताजगी को व्यक्त करता है। कोष्ठकों से पहले के वाक्य से काम की पूर्णता का पता तो चलता है, परंतु स्थिति स्पष्ट नहीं होती। गीला पड़ने से कथन अधिक प्रभावपूर्ण बन जाता है।

अपनी रचना

● अपने परिवेश के उपमानों का प्रयोग करते हुए सूर्योदय और सूयस्ति का शब्द-चित्र खींचिए।

उत्तर-

सुबह के समय सूर्य उदित होते समय ऐसा लगता है मानो कोई नीले सरोवर में स्नान करके बाहर आ रहा हो। सूर्य की किरणें धीरे-धीरे आकाश पर छा जाती हैं। ओस के कणों पर सूर्य की किरणें अद्भुत दृश्य उत्पन्न करती हैं तथा प्रकृति के दृश्य पल-पल में बदलते हैं। पक्षी चहचहाने लगते हैं। पशुओं व मानवों में नयी शक्ति का संचार हो जाता है। जीवन सजीव हो उठता है।

जैसे-जैसे शाम होती है, सूर्य एक थके हुए पथिक की भाँति धीमी गति से अस्त होने लगता है। पक्षी अपने घरों की तरफ लौटने लगते हैं। सूर्य का रंग लाल हो जाता है मानो वह विश्राम करने जा रहा हो। सारा जीव-जगत भी आराम करने की तैयारी शुरू कर देता है।

अन्य हल प्रश्न

लघूत्तरात्मक प्रश्न

1.

सूर्योदय से पहले आकाश में क्या-क्या परिवर्तन होते हैं? ‘उषा’ कविता के आधार पर बताइए। [CBSE Sample Paper; 2007. (Foreign), 2009]

अथवा

‘उषा’ कविता के आधार पर सूर्योदय से ठीक पहले के प्राकृतिक दूश्यों का चित्रण कीजिए।

उत्तर-

सूर्योदय से पहले आकाश का रंग शंख जैसा नीला था, उसके बाद आकाश राख से लीपे चौके जैसा हो गया। सुबह की नमी के कारण वह गीला प्रतीत होता है। सूर्य की प्रारंभिक किरणों से आकाश ऐसा लगा मानो काली सिल पर थोड़ा लाल केसर डालकर उसे धो दिया गया हो या फिर काली स्लेट पर लाल खड़िया मिट्टी मल दी गई हो। सूर्योदय के समय सूर्य का प्रतिबिंब ऐसा लगता है जैसे नीले स्वच्छ जल में किसी गोरी युवती का प्रतिबिंब झिलमिला रहा हो।

2.

‘उषा’ कविता के आधार पर उस जादू को स्पष्ट कीजिए जो सूर्योदय के साथ टूट जाता है। [CBSE (Outside), 2009, 2010]

उत्तर-

सूर्योदय से पूर्व उषा का दृश्य अत्यंत आकर्षक होता है। भोर के समय सूर्य की किरणें जादू के समान लगती हैं। इस समय आकाश का सौंदर्य क्षण-क्षण में परिवर्तित होता रहता है। यह उषा का जादू है। नीले आकाश का शंख-सा पवित्र होना, काली सिल पर केसर डालकर धोना, काली स्लेट पर लाल खड़िया मल देना, नीले जल में गोरी नायिका का झिलमिलाता प्रतिबिंब आदि दृश्य उषा के जादू के समान लगते हैं। सूर्योदय होने के साथ ही ये दृश्य समाप्त हो ज़ाते हैं।

3.

‘स्लेट पर या लाल खड़िया चाक मल दी हो किसी ने। ‘ -इसका आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-

कवि कहता है कि सुबह के समय अँधेरा होने के कारण आकाश स्लेट के समान लगता है। उस समय सूर्य की लालिमा-युक्त किरणों से ऐसा लगता है जैसे किसी ने काली स्लेट पर लाल खड़िया मिट्टी मल दिया हो। कवि आकाश में उभरे लाल-लाल धब्बों के बारे में बताना चाहता है।

4.

भार के नभ को ‘ राख से लीपा, गीला चौका ‘ की संज्ञा दी गई है। क्यों ?

उत्तर-

कवि कहता है कि भोर के समय ओस के कारण आकाश नमीयुक्त व धुंधला होता है। राख से लिपा हुआ चौका भी मटमैले रंग का होता है। दोनों का रंग लगभग एक जैसा होने के कारण कवि ने भोर के नभ को ‘राख से लीपा, गीला चौका’ की संज्ञा दी है। दूसरे, चौके को लीपे जाने से वह स्वच्छ हो जाता है। इसी तरह भोर का नभ भी पवित्र होता है।

5.

‘उषा’ कविता में प्रातःकालीन आकाश की पवित्रता, निर्मलता व उज्ज्वलता से संबंधित पंक्तियों को बताइए।

उत्तर-

पवित्रता- राख से लीपा हुआ चौका।

निर्मलता- बहुत काली सिल जरा से केसर से/कि जैसे धुल गई हो।

उज्ज्वलता-

नीले जल में या किसी की

गौर झिलमिल देह

जैसे हिल रही हो।

6.

सिल और स्लेट का उदाहारण देकर कवि ने आकाश के रंग के बारे में क्या कहा है ?

उत्तर-

कवि ने सिल और स्लेट के रंग की समानता आकाश के रंग से की है। भोर के समय आकाश का रंग गहरा नीला-काला होता है और उसमें थोड़ी-थोड़ी सूर्योदय की लालिमा मिली हुई होती है।

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