कैलाश नगर के ज़िलाधिकारी ने आलू की खेती के विषय में लेखक को क्या जानकारी दी?
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उत्तर :
कैलाश शहर के जिलाधिकारी केरल से आए तेज तर्रार, मिलनसार और उत्साही व्यक्ति थे। उन्होंने त्रिपुरा में आलू की खेती के विषय में लेखक को बताया कि वहां अब टी०पी०एस०(टरू पोटैटो सीडस्) से आलू की खेती होती है । सामान्य तौर पर एक हेक्टेयर भूमि में पारंपरिक आलू के दो मीट्रिक टन बीजों की आवश्यकता पड़ती है। लेकिन टी०पी०एस० की सिर्फ १०० ग्राम मात्रा ही 1 हेक्टेयर भूमि की बुवाई के लिए काफी होती है। इस प्रकार यह बीज सस्ता होने के कारण वहां के लोग टी०पी०एस० से आलू की खेती करने लगे हैं। इसके अलावा उन्होंने बताया कि त्रिपुरा से टी०पी०एस० का निर्यात पूरे भारत में ही नहीं अपितु विदेशों में भी होने लगा है।
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Answer:-
कैलाश शहर के जिलाधिकारी केरल से आए तेज तर्रार, मिलनसार और उत्साही व्यक्ति थे। उन्होंने त्रिपुरा में आलू की खेती के विषय में लेखक को बताया कि वहां अब टी०पी०एस०(टरू पोटैटो सीडस्) से आलू की खेती होती है । सामान्य तौर पर एक हेक्टेयर भूमि में पारंपरिक आलू के दो मीट्रिक टन बीजों की आवश्यकता पड़ती है। लेकिन टी०पी०एस० की सिर्फ १०० ग्राम मात्रा ही 1 हेक्टेयर भूमि की बुवाई के लिए काफी होती है। इस प्रकार यह बीज सस्ता होने के कारण वहां के लोग टी०पी०एस० से आलू की खेती करने लगे हैं। इसके अलावा उन्होंने बताया कि त्रिपुरा से टी०पी०एस० का निर्यात पूरे भारत में ही नहीं अपितु विदेशों में भी होने लगा है।
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