काली तू, रजनी भी काली,
शासन की करनी भी काली,
काली लहर कल्पना काली,
मेरी काल कोठरी काली,
टोपी काली, कमली काली,
मेरी लौह-श्रृंखला काली,
पहरे की हुंकृति की ब्याली,
तिस पर है गाली, ऐ आली! 'explain
Answers
पाठ :- कैदी और कोकिला
कवि :- माखनलाल चतुर्वेदी
" काली तू, रजनी भी काली,
शासन की करनी भी काली,
काली लहर कल्पना काली,
मेरी काल कोठरी काली,
टोपी काली, कमली काली,
मेरी लौह-श्रृंखला काली,
पहरे की हुंकृति की ब्याली,
तिस पर है गाली, ऐ आली! "
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि कोकिला के समान,
बाकी अन्य वस्तुओं को , चिंजो को भी
काली बतला रहा है । यहां काली का अर्थ
दुख , अशांति , क्रोध , यातनाएं से है ।
• जिस प्रकार तू ( अर्थात् कोकिला, कोयल )
काली है , उसी प्रकार रात भी काली है ।
• शासन अर्थात् केंद्र की करनी
( यानी कार्य ) भी काली है ।
दूसरे शब्दों में , शासन प्रजा को
दुःख दे रही है । अशांति का
माहौल छाया हुआ है ।
• यह काल कोठरी जिसमें में बंधित
हूं वह भी काली है ।
• मेरी कल्पना भी काली है
• जो टोपी मैंने पहनी हुई है ,
वह भी काली है ।
• कमल ( जो मुझे इस कोठरी में
ओढ़ने के लिए दिया गया है )
भी काला है ।
• पहरे देने वाले व्यक्तियों के द्वारा
दी गई गाली , भी तिस के समान है ।