कालिदास उसी डािी को काट र े थे ब्जस डािी पर बैिे थे। ववद्योत्तमा नामक
ववदष
ु
ी राजकन्या का मान भींग करने का षड्यींत्र कर र े थे तथाकधथत ववद्वान
वगय को व व्यब्क्त(कालिदास) सवायधिक जड़मनत और म
ू
खय िगा, सो वे उसे ी
क
ुछ िोग िािच दे, क
ुछ उटपटाींग लसखा- पढ़ा म ा पींडडत के वेश में सजा
िजा कर राज दरबार में ववदष
ु
ी राजकन्या ववद्योत्तमा से शास्त्राथय करने के लिए
िे गए। उस म
ू
खय के उटपटाींग मौन सींके तों की मनमानी व्याख्या कर षड्यींत्र
काररयों ने उस ववदष
ु
ी से वववा करा ी हदया, िेककन प्रथम रात्रत्र में ी
वास्तववकता प्रकट ो जाने पर पत्नी के ताने से घायि ोकर घर से ननकिे
म
ू
खय कालिदास, कहिन पररश्रम और ननरींतर सािना रूपी रस्सी के आने जाने से
नघस- वपटकर म ाकवव कालिदास बनकर घर िौटे। स्पष्ट ै कक ननरींतर
अभ्यास में तपाकर उनकी जड़मनत को वपघिाकर ब ा हदया और जो बाकी बचा
था, व खरा सोना था।
(क) ववद्योत्तमा कौन थी? पींडडत उससे नाराज क्यों थे?
(ख) पींडडत वगय वीडडयो िमाका मान भींग ककस प्रकार ककया?
(ग) म
ू
खय कालिदास ककस प्रकार म ाकवव बन गए? (घ) गद्याींश से क्या लशक्षा लमिती ै?
(ङ) गद्याींश के लिए उधचत शीषयक लिखखए?
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