कुम्हार मिट्टी को क्यों गुप्ता पीटता है long answer
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आज जब भारत के गांव बदलाव के दौर से गुजर रहे हैं ऐसे में गांवों में चल रहे परंपरागत व्यवसायों को भी नया रूप देने की जरूरत है। गुजरात के राजकोट निवासी मनसुख भाई ने कुछ ऐसा ही नया करने का बीड़ा उठाया है। पेशे से कुम्हार मनसुख ने अपने हुनर और इनोवेटिव आइडिया का इस्तेमाल करके न सिर्फ अच्छा बिजनेस स्थापित किया, बल्कि नेशनल अवार्ड भी हासिल किया। आज उनके नाम और काम की तारीफ भारत ही नहीं पूरी दुनिया में हो रही है। उनके मिट्टी के बर्तन विदेशों में भी बिक रहे हैं। पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने उन्हें ‘ग्रामीण भारत का सच्चा वैज्ञानिक’ कहा। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने उन्हें सम्मानित करते हुए कहा कि ग्रामीण भारत के विकास के लिए उनके जैसे साहसी और नवप्रयोगी लोगों की जरूरत है। आज वे उद्यमियों के लिए एक मिसाल हैं।ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से उनके काम को लगातार प्रोत्साहित किया गया और भरपूर सहयोग मिला। इससे उनका हौंसला बढ़ता रहा। ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से मिले प्रोत्साहन के बाद मनसुखभाई प्रजापति जिस राह पर चले तो फिर आगे बढ़ते ही गए। उनके काम में कई तरह की बाधाएं भी आई। भूकंप के कारण उनका कारोबार तबाह हो गया, लेकिन वे अपनी मेहनत के दम पर दोबारा उठ खड़े हुए और कुछ ही समय में अपने कारोबार को दोबारा स्थापित कर दिया।